नेपाल-भारत के बीच ऊर्जा सहयोग होगा मजबूत, विभिन्न अंतरदेशीय ट्रांसमिशन लाइन परियोजनाओं के विस्तार को मिलेगी गति

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Ashutosh Jha

काठमांडू : नेपाल और भारत के बीच ऊर्जा सहयोग को और प्रभावी बनाने के लिए विभिन्न अंतरदेशीय ट्रांसमिशन लाइन परियोजनाओं के विस्तार को गति देने की तैयारी की जा रही है। इस पहल के तहत, दोनों देशों के बीच बिजली व्यापार को सुगम बनाने के लिए नई योजनाओं को लागू किया जा रहा है। वर्तमान में परिचालित ढल्केबर-मुजफ्फरपुर 400 के.वी. ट्रांसमिशन लाइन की क्षमता को बढ़ाकर 600 मेगावाट से 1000 मेगावाट तक ले जाने की योजना बनाई गई है। इससे नेपाल से भारत को बिजली निर्यात और भारत से नेपाल को आयात की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

इसी तरह, झुलाघाट (नेपाल)–जौलजीबी (भारत) डबल सर्किट ट्रांसमिशन लाइन की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) मार्च 2025 तक तैयार की जाएगी और इसके निर्माण कार्य को दिसंबर 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। 100 के.वी. वोल्टेज की अंतरदेशीय ट्रांसमिशन लाइन (इंचुवा-न्यू पूर्णिया) का निर्माण 2028/29 तक पूरा किया जाएगा। दोधारा-कांकडभिट्टा-बरेली ट्रांसमिशन लाइन 2028/29 तक पूरा करने की योजना है। ढल्केबर-सीतामढ़ी 400 के.वी. ट्रांसमिशन लाइन को 2029 तक पूरा किया जाएगा। बुटवल-गोरखपुर 400 के.वी. ट्रांसमिशन लाइन को 2029 तक पूरा करने का लक्ष्य है। निजगढ़ (बारा, नेपाल)–मोतीहारी (भारत) 400 के.वी. ट्रांसमिशन लाइन को 2032 तक पूरा किया जाएगा। कोहलपुर-लखनऊ 400 के.वी. ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण कार्य 2034 तक पूरा करने की योजना है।

नेपाल और भारत के बीच ऊर्जा सहयोग को और मजबूत करने के लिए 78 महत्वपूर्ण परियोजनाओं को संयुक्त उद्यम मॉडल के तहत विकसित करने का निर्णय लिया गया है। नेपाल की ओर से ट्रांसमिशन लाइन निर्माण के लिए नेपाल विद्युत प्राधिकरण और पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के बीच एक संयुक्त उद्यम कंपनी स्थापित की जाएगी। भारत की ओर से निर्माण कार्य के लिए पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और नेपाल विद्युत प्राधिकरण के बीच संयुक्त उपक्रम बनाया जाएगा। नेपाल में बहुपक्षीय परियोजनाओं के निर्माण और प्रबंधन को लेकर नेपाल सरकार ने इस बार मंत्रिस्तरीय स्तर पर निर्णय लिया है। यह निर्णय नेपाल-भारत ऊर्जा व्यापार को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।