नेपाल के पूर्व कैबिनेट मंत्री ने भारतीय राजदूतावास को पत्र लिखकर बर्दिया सीमा को खोलने का किया अनुरोध

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आशुतोष झा

काठमांडू: नेपाल के पूर्व कैबिनेट मंत्री, सांसद एवम जनमत पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अब्दुल खान ने नेपाल के विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा तथा नेपाल स्थित भारतीय राजदूतावास को विशेष पत्र लिखकर भारत-नेपाल के बर्दिया सीमा को खोलने का अनुरोध करते हुए कहा कि इस सीमा के खुल जाने से दोनों देशों के बीच न सिर्फ संबंध प्रगाढ़ होंगे बल्कि सीमा से हो रहे घुसपैठ को भी रोका जा सकेगा। उन्होंने कहा कि इससे दोनों देशों के बीच व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा।

अब्दुल खान ने भारत-नेपाल के बीच 2009 में हुए समझौते का हवाला देते हुए कहा कि नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल ने भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह से नेपाल-भारत के बीच पांच सीमाओं को खोलने का प्रस्ताव रखा था, जिस पर सहमति जताते हुए डॉ मनमोहन सिंह ने भारत के विदेश मंत्रालय को इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने को कहा था। बता दें कि अनाधिकृत व्यापार को नियंत्रित करने के लिए नेपाल के साथ एक सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर हुआ था जिसमें भारत और नेपाल के बीच विमान सेवा शुरू करने तथा सीमा पर पांच स्थानों पर रेलवे ढ़ांचा बनाना शामिल था।

तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दोनों पड़ोसियों के बीच संबंधों को रेखांकित करते हुए इसे “विशेष” और “अनोखा” करार दिया था। नेपाल के पूर्व कैबिनेट मंत्री अब्दुल खान ने एक बार फिर से भारत-नेपाल की सीमाओं को खोलने का आग्रह करते हुए नेपाल की विदेश मंत्री आरजु राणा देउवा को पत्र दिया है। पत्र में उन्होंने भारत के ठूठीवारी से नेपाल के बैतड़ी तक खोले जाने वाली 5 सीमाओं का जिक्र करते हुए बताया है कि बर्दिया जिले में बॉर्डर क्रॉसिंग नहीं खुलने से भारत सरकार का राजस्व और नेपाल सरकार का राजस्व जमा नहीं हो पा रहा है इससे दोनों देशों के लोगों को आने-जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि इससे घुसपैठ भी आम हो गई है। उत्तर प्रदेश के बहराईच जिले का लौकाही और नेपाल के लुंबिनी प्रांत के बर्दिया जिले का गणेशपुर क्षेत्र, भारत के उत्तर प्रदेश के बहराईच जिले का रजनवा और बर्दिया का रत्नापुर क्षेत्र की सीमा खोलने के लिए बहुत उपयुक्त है। चूंकि यह मामला नेपाल की प्रतिनिधि सभा(संसद) में कई बार उठाया गया है, नेपाल सरकार को अपने क्षेत्र के सीमा बिंदुओं पर सीमा नाका कार्यालय खोलने के लिए तैयार रहना चाहिए, इसलिए विदेश मंत्रालय के माध्यम से सीमा नाका खोलने का अनुरोध किया जा रहा है। इस समझौते के लागू होने से भारत और नेपाल के बीच व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलेगा।