आशुतोष झा
काठमांडू: राष्ट्रीय मुक्ति क्रांति के संयोजक और नेपाल के पूर्व उपप्रधानमंत्री राजेंद्र महतो द्वारा लिखित पुस्तक “अधूरी क्रांति” का विमोचन काठमांडू में किया गया। महतो की राजनीतिक गतिविधियों और मधेश के दृष्टिकोण के बीच अंतरसंबंध को पुस्तक में रेखांकित किया गया है। नेपाल-भारत के बीच के विशेष संबंध, मधेशियों की समस्या,सत्ता द्वारा मधेशियों के दमन की लंबी फेहरिस्त उक्त पुस्तक में उल्लेखित है।
महतो ने विमोचन कार्यक्रम में कहा कि मधेश में सदियों से भेदभाव और शोषण के खिलाफ लंबे आंदोलन के बावजूद लोगों की मांगें पूरी नहीं हुई इसलिए क्रांति अधूरी है।उन्होंने कहा कि नेपाल के इतिहास पर अगर सरसरी नजर डाली जाए तो यह निष्कर्ष निकलता है कि मधेश में हुए अंतिम आंदोलन अर्थात तीसरी लड़ाई बिना किसी निष्कर्ष के समाप्त हो गई।राज्य ने आंदोलन के ऊपर चरम दमन चक्र चलाया, लोगों को अपने पहचान और अधिकारों की लड़ाई हारनी पड़ी। उन्होंने कहा कि इसलिए आज मैने अपने जीवन की गतिविधियों और अधूरी क्रांति के बारे में यह पुस्तक लिखी है। पुस्तक की समीक्षा विद्वान लेखक सी के लाल, नीति आयोग के पूर्व सदस्य डॉ सोहन साह, वरिष्ठ पत्रकार कनक मणि दीक्षित, मानव अधिकार कर्मी तथा अधिवक्ता मोहाना अंसारी, प्रो डॉ बालकृष्ण माबुहांग, अभियंता सुमन सयामी, विद्वान बुद्ध छिरिन्ग मोक्तान, पूर्व राजदूत महेश दहल आदि ने की।