संविधान दिवस : नेपाल में निर्वाचित राष्ट्रपति प्रणाली रोक सकती थी हाल ही में हुआ जेन जी आंदोलन : प्रचंड

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Eksandeshlive Desk

काठमांडू : माओवादी पार्टी के अध्यक्ष पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ ने शुक्रवार को कहा है कि अगर देश में निर्वाचित राष्ट्रपति प्रणाली होती, तो हाल ही में हुए जेन जी आंदोलन को रोका जा सकता था। संविधान दिवस पर शुक्रवार को पार्टी हेडक्वार्टर में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रचंड ने याद किया कि वर्तमान स्थिति इसलिए उत्पन्न हुई, क्योंकि 2015 में संविधान का मसौदा तैयार किए जाने पर प्रत्यक्ष निर्वाचित कार्यपालिका की व्यवस्था नहीं की जा सकी थी। उन्होंने कहा कि राजनीतिक स्थिरता के लिए प्रत्यक्ष निर्वाचित राष्ट्रपति की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि संविधान जारी करते समय इस विषय पर कोई आम सहमति नहीं बन पाना दुर्भाग्य था। प्रचंड ने दावा किया कि अगर उस समय प्रत्यक्ष निर्वाचित शासन प्रणाली पर समझौता होता, तो जेन जी आंदोलन नहीं होता। उन्होंने कहा कि इस तरह के बड़े पैमाने पर नुकसान से बचा जा सकता था। जेन जी आंदोलन के बाद ध्वस्त हो चुके अपने पार्टी हेडक्वार्टर में प्रचंड ने अपने समर्थको और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यह भी दावा किया कि उनकी सक्रियता के कारण ही संविधान को बचाया जा सका है। उन्होंने कहा कि अगर उस रात वो राष्ट्रपति भवन नहीं पहुंचते और राष्ट्रपति का साथ नहीं दिया होता, तो आज देश संविधान विहीन बन सकता था।

सुशीला कार्की ने कहा-संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य के मूल्यांकन का एक अवसर है संविधान दिवसः नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने कहा है कि जनता की बात को गंभीरता से सुनना और उनकी भावनाओं का सम्मान करना ही लोकतंत्र की आत्मा है। संविधान दिवस के अवर पर यहां के टुंडिखेल स्थित सेना मंडप में आयोजित विशेष कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री कार्की ने इस बात पर जोर दिया कि एक लोकतांत्रिक प्रणाली वह है जो अपने नागरिकों की सुनती है। उन्होंने कहा कि संविधान दिवस संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य का मूल्यांकन करने का भी एक अवसर है। पिछली उपलब्धियों और कमियों को प्रतिबिंबित करते हुए प्रधानमंत्री ने आने वाले दिनों में सुधार के साथ आगे बढ़ने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने यह भी याद किया कि नेपाल का संविधान, जिसे आज ही के दिन 2015 को संविधान सभा द्वारा पारित और अधिनियमित किया गया था, नेपाली लोगों के बलिदानों, संघर्षों और आंदोलनों का परिणाम है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसकी रक्षा और सफल कार्यान्वयन सभी नेपालियों की साझा जिम्मेदारी है।

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