Ashutosh Jha
काठमांडू : नेपाल में राजशाही की वापसी तथा हिन्दू अधिराज्य घोषित करने के लिए राजतंत्र समर्थकों व राष्ट्रवादियों का आंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है। गुरुवार को यहां हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने रत्नपार्क के शांतिवाटिका में एकत्र होकर विशाल व भव्य रूप से प्रदर्शन किया। नेपाल के एक प्रमुख आंदोलनकारी धड़े के नेता के अनुसार 35 हजार से भी अधिक राजतंत्र समर्थकों ने गुरुवार के आंदोलन में हिस्सा लिया। राजवादियों का प्रदर्शन सभ्य और शालीन रहा। सरकार द्वारा राजशाही प्रदर्शनकारियों को रोकने के सारे प्रयास विफल रहे।
एक तटस्थ विश्लेषक के अनुसार काठमांडू में 25 हजार से अधिक आंदोलनकारियों की जमघट से सिद्ध हो रहा है कि काठमांडू की जनता वर्तमान गणतंत्रात्मक व्यवस्था से तंग आकर इसका विकल्प पुरजोर तरीके से तलाश रही है। नेपाल के राजनीतिक दलों के कर्णधारों की नस-नस में समाए भ्रष्टाचार व भाई भतीजावाद ने नेपाल को पूरी तरह से खोखला कर दिया है। नेपाल में गुरुवार को ही गणतंत्र दिवस का सरकारी तौर पर आयोजन हुआ जो काफी निराशाजनक रहा। प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की हर संभव कोशिश के बावजूद उनकी पार्टी (सीपीएन यूएमएल) के काठमांडू पर कब्जे की घोषणा विफल रही। पीएम की पार्टी के सैकडो कार्यकर्ता ही मात्र जुट पाए। गुरुवार को राजशाही की वापसी तथा इसे हिन्दू अधिराज्य घोषित कराने को लेकर हुए प्रदर्शन में राजा लाओ, देश बचाओ, केपी चोर देश छोड़, भ्रष्ट गणतंत्र मुर्दाबाद जैसे गगनभेदी नारे लगाए गये। आज के प्रदर्शन में काठमांडू घाटी के युवाओं व महिलाओं ने काफी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
इस आंदोलन का नेतृत्व राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी, राप्रपा नेपाल, संयुक्त नागरिक जन संघर्ष समिति तथा सैकडो राष्ट्रवादी समूहों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। राप्रपा नेपाल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष धीरेन्द्र झा मैथिल ने कहा है कि जिस प्रकार स्वस्फूर्त रूप से काठमांडू की आम जनता सड़कों पर आयी उससे इतना तय हो गया है कि लोग पूर्व नरेश ज्ञानेन्द्र शाह को नेपाल का सच्चा हितैषी मानते हैं। नेपाल की सरकार द्वारा हर मोर्चे पर गुरुवार को हुए प्रदर्शन को विफल करने की सारी कोशिशें बेकार साबित हई। राजशाही समर्थकों का आरोप है कि नेपाल के प्रधानमंत्री ने नेपाल पुलिस को यह प्रत्यक्ष निर्देशन दिया था कि आंदोलनकारियों को एकत्र नहीं होने देना है। आंदोलन कारियों की शालीनता से कोई विशेष टकराव की नौबत ही नहीं आयी।