नेपाल सुप्रीम कोर्ट ने पशुपतिनाथ मंदिर में नागा सन्यासी के प्रवेश पर रोक लगाने की मांग खारिज की

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Eksandeshlive desk

काठमांडू : नेपाल सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक फैसले में नागा सन्यासी के पशुपतिनाथ मंदिर में प्रवेश रोकने की मांग खारिज कर दी है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि नागा सन्यासी की नग्न अवस्था को अश्लीलता की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। करीब आठ साल पहले सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि नागा सन्यासी के पशुपतिनाथ मंदिर में प्रवेश पर रोक लगाना उचित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता यज्ञमणि न्यौपाने ने रिट दायर कर शिवरात्रि के अवसर पर भारत से आने वाले नागा सन्यासी के प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की थी।

नागा सन्यासी सनातन संस्कृति से जुड़ी एक परंपरा : आठ साल के बाद कोर्ट ने अपने अंतिम फैसले में कहा है कि नागा सन्यासी सनातन संस्कृति से जुड़ी एक परंपरा है, जो सदियों से चली आ रही है। कोर्ट ने नागा सन्यासी की नग्नता को वस्त्र विहीन अवस्था की श्रेणी में डालते हुए कहा है कि सभी प्रकार की नग्नता को अश्लील नहीं कहा जा सकता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यौन उत्तेजना बढ़ाने, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से विकृति फैलाने वाली नग्नता को ही अश्लीलता की श्रेणी में रखा जा सकता है। कोर्ट ने नागा बाबाओं की नग्न अवस्था का महिलाओं में नकारात्मक असर पड़ने की बात को अस्वाभाविक और तर्कहीन बताया है। कोर्ट ने शिवरात्रि के अवसर पर नागा सन्यासी को सरकार की ओर से राजकीय सम्मान देना और उनकी विदाई के समय दक्षिणा देने की प्रथा पर भी रोक लगाने से इनकार कर दिया है। याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि सरकार की ओर से नागा सन्यासी के सम्मान और विदाई में खर्च पर भी रोक लगाई जाए।

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