शुक्रवार देर शाम राष्ट्रपति पौडेल ने सुशीला कार्की को दिलाई शपथ, नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं पूर्व मुख्य न्यायाधीश कार्की, संसद विघटन का सीपीएन (यूएमएल) और माओवादी ने किया विरोध, मेयर बालेन शाह ने युवाओं की जीत बताते हुए फैसले पर खुशी जताई
Eksandeshlive Desk
काठमांडू : देश की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने नेपाल की अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली है। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने शुक्रवार देर शाम शीतल निवास में उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। वह नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री और कार्यकारी प्रमुख बनीं। इसके साथ ही उन्होंने बड़ा फैसला लेते हुए संसद के विघटन और 5 मार्च को आम चुनाव कराने की सिफारिश की जिसे राष्ट्रपति ने मंजूर कर लिया। राष्ट्रपति पौडेल ने संविधान के अनुच्छेद 61 के तहत कार्की को प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त किया। 2015 में नए संविधान की घोषणा के बाद से, पिछली सभी सरकारें अनुच्छेद 76 के तहत बनाई गई थीं। हालांकि, कार्की – जिन्होंने युवाओं के नेतृत्व वाले जनरल-जेड आंदोलन के समर्थन से पदभार संभाला – को अनुच्छेद 61 के तहत नियुक्त किया गया था, जो एक महत्वपूर्ण संवैधानिक और राजनीतिक बदलाव को चिह्नित करता है।
संसद विघटन और 5 मार्च को चुनाव का फैसला : नव नियुक्त प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने संसद को भंग करने की सिफारिश करके अपना पहला बड़ा निर्णय लिया है, जिसे राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने तत्काल मंजूरी दी। उन्होंने आम चुनाव के तारीखों की घोषणा कर दी है। कार्की के शपथ ग्रहण समारोह के तुरंत बाद शीतल निवास में आयोजित नए मंत्रिमंडल की पहली बैठक के दौरान इस निर्णय की घोषणा की गई। बैठक में उन्होंने राजनीतिक सुधार और संस्थागत रीसेट के लिए जेन जी समूह द्वारा उठाई गई लंबे समय से चली आ रही मांग को संबोधित किया। संसद भंग करने के साथ ही आम चुनाव के तारीख की घोषणा कर दी गई है। राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से एक बयान जारी कर कहा गया है कि देश का अगला आम चुनाव 5 मार्च को किया जाएगा। अंतरिम सरकार की प्रधानमंत्री सुशीला कार्की द्वारा की गई सिफारिश के बाद राष्ट्रपति ने 5 मार्च 2026 को आम चुनाव की घोषणा कर दी है। प्रधानमंत्री कार्की ने कहा कि अगले कुछ दिनों में मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा। सदन को भंग कर दिया गया है – राष्ट्रपति ने विघटन को मंजूरी दे दी है। मैंने इसकी सिफारिश की, और उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया और हस्ताक्षर किए।
संसद भंग करने के फैसले की निंदा : नेपाल के प्रमुख राजनीतिक दलों, सीपीएन (यूएमएल) और माओवादी पार्टी ने संसद को भंग करने के फैसले की कड़ी आलोचना की है। माओवादी ने अपने पदाधिकारियों की एक आपातकालीन बैठक बुलाई, जिसमें इस कदम को “अस्वीकार्य” बताया गया और राजनीतिक स्थिरता के लिए इसके प्रभावों पर चिंता व्यक्त की गई। इस बीच, सीपीएन (यूएमएल) के महासचिव शंकर पोखरेल ने सोशल मीडिया पर इस फैसले की निंदा की। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने पहले संसद को भंग करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की आलोचना की थी, वे अब इस विघटन का समर्थन कर सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। वहीं काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी के मेयर बालेन शाह ने नेपाल में संसद भंग और सत्ता परिवर्तन को संभव कर दिखाने के लिए जेन जी युवाओं को बधाई देते हुए प्रदर्शन के दौरान मारे गए युवाओं को शहीद बताया है। प्रधानमंत्री सुशीला कार्की की नियुक्ति के कुछ ही समय बाद बालेन ने फेसबुक पर लिखा, “प्रिय जेन जी, आपके योगदान और बलिदान के कारण देश बदल गया है। बहादुर शहीदों को हार्दिक श्रद्धांजलि।