आशुतोष झा
काठमांडू: नेपाल के सबसे प्राचीन राजनीतिक दल नेपाली काँग्रेस में अंतरविरोध सुलकर सामने आ गए हैं। नेपाली कांग्रेस के सभापति व पूर्व प्रधानमंत्री शेरबहादुर देउवा पर दो दर्जन से भी अधिक जिले के पार्टी सभापतियों ने हैकमवादी नीति अख्तियार करने के आरोप लगाए हैं। पार्टी की दूसरी धार के इन नेताओं का कहना है कि देउवा अपनी मनमर्जी से नेपाली काँग्रेस चला रहे हैं और अपनी पत्नी आरजू राणा तथा अन्य सिपहसालारों की चुगली नीति को बढ़ावा दे रहे हैं। उल्लेखनीय है कि नेपाली काँग्रेस में मुख्य रूप से दो धार हैं। इनमें एक का नेतृत्व देउवा करते हैं जबकि दूसरा खेमा नेपाली काँग्रेस के वरिष्ठ नेता शेखर कोइराला के हाथ है। शेखर कोइराला समूह को जब से देउवा सर्वोच्च पद पर आसीन हुए है तब से निरंतर उपेक्षित किया जाता रहा है। शेखर कोइराला जनाधार वाले नेता हैं, उसके साथ ही पार्टी के पूर्व प्रधानमंत्री तथा सभापति स्वर्गीय गिरिजा प्रसाद कोइराला के आदर्शों पर चलनेवाले नेता हैं। नेपाली काँग्रेस के मोरंग जिले के सभापति डिग बहादुर लिम्बू, दोलखा जिले के सभापति वर्मा लामा, कृष्ण कुमार राई, हिमाल कार्की, देउ कुमार थेबे, दीपक खड्का, केदार भण्डारी, तेजेन्द्र खनाल, नामगेल जाडयू शेर्पा, अर्जुन तुम्बाहाम्फे, डम्मर खड्का, रूपनारायण जगेबू, दिनेश राई, गजेन्द्र तम्हायान्ग सहित कई सौ से भी अधिक प्रमुख नेता शेरबहादुर देउवा की अलोकतांत्रिक व मनमाने निर्णय के खिलाफ खुलकर सामने आ गए है। उनका कहना है कि देउवा नेपाली कांग्रेस को पतन की ओर ले जा रहे हैं। दोलखा जिलेके सभापति वर्मा लासा का कहना है कि असंतुष्ट गुट द्वारा बार-बार देउवा से मिलने का समय मांगे जाने के बाद भी उन्हें टाइम नहीं दियो गया है।