Eksandeshlive Desk
पलामू : जिले के जामुनडीह पंचायत क्षेत्र के अमवा खुर्द में नल-जल योजना से जल मीनार निर्माण में भारी अनियमितता बरती जा रही है। फाउंडेशन से लेकर बोरिंग में गड़बड़ी है। फाउंडेशन निर्माण में जहां घटिया कार्य हो रहा है, वहीं सूखी बोरिंग में जल मीनार खड़ा करने की कोशिश की जा रही है। नतीजा योजना का उद्देश्य धूमिल नजर आ रहा है।
जामुनडीह पंचायत क्षेत्र में लगेंगे 69 जलमीनार
केवल जामुनडीह पंचायत क्षेत्र में नल से शुद्ध जल देने के लिए 69 जलमीनार निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। अबतक 30 पूरा कर लिया गया है। केवल ठेकेदारी के लिए कार्य हो रहा है। इस योजना को फरवरी तक ही पूरा कर लेना था लेकिन अबतक अधूरा है। फाउंडेशन का निर्माण नियम विरुद्ध होने के कारण जलमीनार के गिरने की संभावना बनी रहेगी, वहीं सूखी बोरिंग पर जलमीनार खड़ा करने पर लोगों को पानी नसीब नहीं हो पाएगा।
ग्रामीण बोले-मानकों का नहीं हो रहा पालन
ग्रामीण अशोक राम, सीता राम, बंधु राम, राजू राम, सुदामा राम और ईश्वरी राम सहित अन्य ने बुधवार को कहा कि योजना में मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। सात फीट गहराई में नींव रखना लेकिन मात्र 3 फीट में ही काम निपटा दिया जा रहा है। निर्माण कार्य में मानकों को नजरअंदाज करके चारों पिलर खड़े कर दिए गए हैं और उसके बीच में मिट्टी भर दी गई जबकि एस्टीमेट के अनुसार गड्ढे की सतह को लेवल कर ढलाई करनी है और फिर पिलर लगाकर दो स्तर पर बांध तैयार करना है।
अभियंता ने अबतक नहीं किया है निरीक्षण
गंभीर लापरवाही का एक और उदाहरण तब सामने आया जब बोरिंग के दौरान पानी न होने की जानकारी मिली। इसके बावजूद संवेदक (ठेकेदार) ने बोरिंग का काम पूरा दिखाकर सरकारी राशि हड़पने की कोशिश की है। स्थानीय मजदूरों ने कहा कि पूरे पंचायत में इसी तरह से काम किया जा रहा है। कुछ जगहों पर तो निर्माण कार्य के लिए सीमेंट को सीधे जमीन पर रखकर इस्तेमाल किया गया। ग्रामीणों का कहना है कि योजना की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए विभागीय अभियंता ने अबतक निरीक्षण नहीं किया है। ठेकेदार केवल कागजी प्रक्रिया पूरी कर सरकारी धन का दुरुपयोग कर रहे हैं। कमजोर निर्माण और पानी की अनुपलब्धता के कारण यह योजना असफल साबित हो रही है।
कार्यपालक अभियंता ने नहीं की कोई टिप्पणी
इस पूरे मामले में जब कार्यपालक अभियंता से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि बिना योजना का निरीक्षण किए वे इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। उनका कहना था कि योजना की जांच के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचेंगे। ग्रामीणों का मानना है कि यदि विभागीय अधिकारी समय रहते इस पर ध्यान देते, तो यह योजना गांव के लिए वरदान साबित हो सकती थी लेकिन भ्रष्टाचार और लापरवाही ने इसे पूरी तरह से विफल बना दिया। अब ग्रामीणों की मांग है कि सरकार मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करे।