Eksandeshlive Desk
मुंबई : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को महाराष्ट्र के पुणे में कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की बढ़ती स्वदेशी शक्ति का एक ज्वलंत प्रमाण है, जो देश में आत्मनिर्भर रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने के सरकार के अथक प्रयासों से प्राप्त हुआ है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गुरुवार को पुणे में सिम्बायोसिस स्किल्स एंड प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को विश्वास और दृढ़ता जैसे गुणों के महत्व समझा रहे थे। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि जब सरकार ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना शुरू किया, तो आरंभ में यह कठिन लग रहा था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में घरेलू रक्षा विनिर्माण के विस्तार में कोई कसर न छोड़ते हुए पूरी कोशिश की गई। इसी संकल्प के कारण सकारात्मक परिणाम मिलने लगे। उन्होंने कहा कि हमने रक्षा क्षेत्र में बदलाव का संकल्प लिया है क्योंकि देश की स्वतंत्रता के बाद से ही हम हथियारों के लिए दूसरे देशों पर बहुत अधिक निर्भर रहे हैं। हम हथियार खरीदने के आदी हो गए थे क्योंकि हमारे पास भारत में निर्माण करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी थी और हमारे पास रक्षा निर्माण को बढ़ावा देने संबंधी क़ानून भी नहीं थे। इसमें बदलाव की आवश्यकता थी। अब हमारा संकल्प है कि भारत अपने सैनिकों के लिए स्वदेश में निर्मित हथियार बनाए। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पूरी दुनिया ने हमारे सैनिकों की वीरता देखी। उन्होंने कहा कि निर्धारित व्यापक लक्ष्य देश में निर्मित रक्षा उपकरणों के उपयोग से ही हासिल किया है।
सालाना रक्षा उत्पादन रिकॉर्ड डेढ़ लाख करोड़ रुपये का हुआ : रक्षा मंत्री सिंह ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में सालाना रक्षा उत्पादन 46 हजार करोड़ रुपये से बढक़र रिकॉर्ड डेढ़ लाख करोड़ रुपये का हो गया है, जिसमें निजी क्षेत्र का योगदान लगभग 33 हजार करोड़ रुपये का है। उन्होंने वर्ष 2029 तक तीन लाख करोड़ रुपये के रक्षा विनिर्माण लक्ष्य और 50 हजार करोड़ रुपये के निर्यात लक्ष्य हासिल होने का विश्वास व्यक्त किया। उन्हाेंने विद्यार्थियों से शैक्षणिक उपलब्धियों से आगे बढक़र सृजनकर्ता, नवोन्मेषक और राष्ट्रीय विकास में योगदानकर्ता बनने का आह्वान किया। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सच्ची सफलता केवल शैक्षणिक उपाधि हासिल करने में नहीं, बल्कि सामाजिक लाभ के लिए ज्ञान के सार्थक उपयोग में निहित है। रक्षा मंत्री ने प्रौद्योगिकी में विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के प्रभाव का उल्लेख करते हुए इस आशंका को निर्मूल बताया कि इससे नौकरी जाने और मानव श्रम की आवश्यकता समाप्त होगी। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस कभी मानव श्रम की जगह नहीं लेगा, बल्कि जो लोग एआई का उपयोग करते हैं, वे उन लोगों की जगह लेंगे जो इसका इस्तेमाल नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि तकनीक को मानवीय संवेदनशीलता, मूल्यों और नैतिकता का विकल्प नहीं, बल्कि साधन मात्र बनाए रखना चाहिए। राजनाथ सिंह ने युवाओं से तुलनाओं में उलझने की बजाय अपने सपनों को साकार करने का आह्वान किया। कार्यक्रम के तहत राजनाथ सिंह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्कूल ऑफ डिफेंस एंड एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर राज्य सरकार के अन्य मंत्री और विश्वविद्यालय के कुलपति उपस्थित थे।