पाकिस्तान के पंजाब में नदियों ने मचाई तबाही, कसूर शहर को डूबने से बचाने कि लिए सतलुज के तट का एक हिस्सा उड़ाया गया

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Eksandeshlive Desk

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में पचास के दशक के बाद पहली बार सतलुज नदी में सन्नाटे को चीरने वाली ‘ऊंची लहरें’ देखी गई हैं। आफत बनकर आया मानसून कहर बरपा रहा है। सभी प्रमुख नदियां उफान पर हैं। प्रांत के आठ जिले बाढ़ से प्रभावित है। अधिकारियों को कसूर शहर को डूबने से बचाने के लिए शुक्रवार को सतलुज नदी के तट के एक हिस्से को उड़ाना पड़ा। कम से कम 28 लोग अब तक जान गंवा चुके हैं। इनमें से ज्यादातर गुजरांवाला संभाग से हैं। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार की खबर में प्रांतीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (पीडीएमए) के हवाले से यह जानकारी दी गई। पीडीएमए ने पुष्टि की है कि रावी और चिनाब के ऊपरी इलाकों में तो जलस्तर कम होने लगा है लेकिन नीचे की ओर जल प्रवाह तेजी से बढ़ रहा है।

सतलुज नदी 1955 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर : इस बीच, सतलुज नदी 1955 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। इसके कारण अधिकारियों को कसूर शहर को डूबने से बचाने के लिए आरआरए-1 तटबंध को तोड़ने का फैसला लेना पड़ा। पीडीएमए के एक अधिकारी ने कहा, “सतलुज का पानी कसूर की ओर बढ़ रहा था। कसूर को बचाने के लिए हमें रहीमयार तटबंध तोड़ना पड़ा।” पीडीएमए ने ओकारा और साहीवाल में मंडरा रहे खतरे की भी चेतावनी दी है। प्राधिकरण ने कहा है कि रावी नदी का बढ़ता उफान 36 घंटों के भीतर सदानी को जलमग्न कर सकता है। बल्लोकी में रावी का जलस्तर बढ़ने से बांध को खतरा हो सकता है। अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार को बाढ़ का पानी लाहौर शहर के बाहरी इलाकों में पहुंच गया। इस पंजाब के प्रमुख शहर झंग के जलमग्न होने का खतरा पैदा हो गया। इस बीच, पाकिस्तान मौसम विज्ञान विभाग ने आज शाम तक भारी बारिश, तेज हवा चलने और गरज के साथ तूफान आने का पूर्वानुमान जताया है। पीएमडी के अनुसार, पंजाब, खैबर पख्तूनख्वा, पीओके, इस्लामाबाद और पोटोहर क्षेत्र में भूस्खलन की आशंका है। उत्तर-पूर्वी बलूचिस्तान, दक्षिण-पूर्वी सिंध और गिलगित-बाल्तिस्तान में भी भारी बारिश हो सकती है।

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