किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का 131 दिन बाद अनशन समाप्त, कहा-केजरीवाल को बचाने के लिए पंजाब सरकार ने आंदोलन खत्म कराया

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Eksandeshlive Desk

चंडीगढ़ : पंजाब में खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने रविवार को 131 दिन बाद आमरण अनशन समाप्त कर दिया। पंजाब के फतेहगढ़ साहिब की अनाज मंडी में रविवार को आयोजित किसान महापंचायत के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा (नॉन पॉलिटिकल) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने यह ऐलान किया। शनिवार की रात केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने डल्लेवाल से अनशन खत्म करने की अपील करते हुए कहा था कि 4 मई को किसानों से चंडीगढ़ में मीटिंग करेंगे।

महापंचायत में डल्लेवाल ने कहा कि अरविंद केजरीवाल को बचाने के लिए पंजाब सरकार ने आंदोलन खत्म कराया है लेकिन उन्होंने किसानों की मांग पर आमरण अनशन खत्म किया है। काफी समय से किसान उनसे अनशन तोड़ने की अपील कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मैंने अपना अनशन तो समाप्त कर दिया है लेकिन किसानों की मांगों के लिए आंदोलन जारी है। अभी पता नहीं फ्यूचर में क्या होगा। किसी भी जत्थेबंदी के साथ कोई लड़ाई नहीं है। केवल विचार का सवाल है। कुछ विचारों को लेकर हम एकजुट हैं। कुछ मुद्दों पर अलग-अलग हैं। पंजाब सरकार पर अक्रोश जताते हुए डल्लेवाल ने कहा कि राज्य सरकार लोगों को गुमराह कर रही है। सरकार ने अपने सुप्रीमो को बचाने और लुधियाना की सीट जीतने के लिए एक बिका हुआ समझौता किया है। दिल्ली हारने के बाद आप सरकार घबराई हुई थी, उसको डर था कि उनका सुप्रीमो जेल न चला जाए। उसे बचाने और राज्यसभा भेजने के लिए किसानों पर हमला बोला गया और केंद्र सरकार के सामने पंजाब सरकार नतमस्तक हो गई। भगवंत मान ने किसानों पर हमला नहीं किया बल्कि पूरे पंजाब की पीठ में छुरा घोंपा है।

गौरतलब है कि किसान नेता डल्लेवाल ने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत अन्य मांगों को लेकर 26 नवंबर 2024 को अनशन शुरू किया था। 19 मार्च को पंजाब पुलिस ने जगजीत सिंह डल्लेवाल, सरवण सिंह पंधेर समेत अन्य किसानों को हिरासत में लेकर खनौरी और शंभू बॉर्डर खाली करा लिए थे। 20 मार्च को दोनों बार्डर आम जनता के लिए खोल दिए गए थे। पुलिस ने हिरासत में लिए किसान मजदूर मोर्चा के संयोजक सरवण सिंह पंधेर, अभिमन्यु कोहाड़ समेत कई किसानों को 27 मार्च को रिहा कर दिया था। पुलिस ने डल्लेवाल को पटियाला के प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया था और 3 अप्रैल को उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली थी। इसके बाद से वे अपने गांव में अनशनरत थे।