Eksandeshlive Desk
बरकट्ठा/ हजारीबाग: बरकट्ठा का ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल पातालसुर धाम आज बदहाली के कगार पर है। कभी अपने निर्मल जल के लिए प्रसिद्ध यह पवित्र स्थल अब गंदगी और दुर्गंध का शिकार हो गया है, जिसका मुख्य कारण सिक्सलेन सड़क चौड़ीकरण निर्माण कार्य में लगी एजेंसी की घोर लापरवाही है। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, राज केशरी प्राइवेट लिमिटेड सह कौशल इंजीनियरिंग कंपनी पिछले छह वर्षों से क्षेत्र में सड़क निर्माण कार्य कर रही है, लेकिन इस दौरान उन्होंने पातालसुर धाम की जल निकासी व्यवस्था को पूरी तरह बंद कर दिया है। इसके परिणामस्वरूप पातालसुर धाम में पानी जमा होकर सड़ने लगा है और टंकी पर मिट्टी-मलबा जम जाने से वहां से बदबू फैल रही है। ग्रामीण बताते हैं कि पातालसुर धाम का पानी अत्यंत शुद्ध और निर्मल था, जिसे बरकट्ठा, बंडासिंगा, बेलकप्पी समेत आसपास के कई गांवों के लोग पीने के लिए ले जाया करते थे। लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं कि वहां पास जाना भी मुश्किल हो गया है। पूर्व जिप सदस्य मीना देवी ने कभी इस धाम का सुंदरीकरण करवाया था और बरकट्ठा थाना के पूर्व प्रभारी रविप्रताप वाजपेई की पहल पर पानी की टंकी बनवाई गई थी ताकि लोगों को स्वच्छ पानी मिल सके।
ग्रामीणों का आरोप है कि सड़क निर्माण एजेंसी की मनमानी और प्रशासन की उदासीनता के कारण यह पवित्र स्थल अपनी पहचान खोता जा रहा है। उनका कहना है कि सड़क निर्माण में भारी अनियमितताएं बरती जा रही हैं – न तो जल निकासी की उचित व्यवस्था है और न ही निर्माण अवशेषों का सही निस्तारण हो रहा है। कई बार शिकायत के बावजूद एजेंसी ने कोई सुधार नहीं किया। पूर्व जिप सदस्य प्रतिनिधि केदार साव ने कहा कि पातालसुर बाबा आसपास के लोगों के लिए श्रद्धा का केंद्र है और उनकी निर्मल जलधारा का पानी पूरा क्षेत्र पीता है। उन्होंने एनएचआई के अधिकारियों और सड़क निर्माण एजेंसी से मांग की कि जल स्रोत को सुरक्षित रखकर ही काम किया जाए। समाजसेवी दर्शन सोनी ने चेतावनी दी कि सड़क निर्माण एजेंसी द्वारा जल निकासी पर लगाई गई रोक अविलंब हटाई जाए, वरना पातालसुर बाबा के धर्मप्रेमी जनता आंदोलन के लिए बाध्य हो जाएगी। स्थानीय निवासी सूरज मोदी ने कहा, “हमलोग रिक्शा से लाकर भी वहीं का पानी पीते थे। वह पानी मीठा और ठंडा रहता था। अब उसमें सड़ांध आने लगी है। अगर जल्द साफ-सफाई नहीं हुई और पानी की निकासी नहीं होगी तो यह धाम पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा।” यह स्थिति प्रशासन और निर्माण एजेंसी की लापरवाही को उजागर करती है और सवाल उठाती है कि आखिर कब तक इस पवित्र स्थल की अनदेखी होती रहेगी?