अभिभावकों ने मामले को शिक्षा सचिव तक पहुंचाने की कही बात
अजय राज
प्रतापपुर (चतरा): प्रतापपुर +2 हाई स्कूल के मैदान में चल रहा गौरी क्रिकेट टूर्नामेंट अब खेल से ज्यादा शिक्षा व्यवस्था के लिए बाधा बन गया है। दिनभर चोंगा बॉक्स, माइक, उद्घोषणा, कमेंट्री और भारी भीड़ की आवाज़ के बीच बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। आस-पास के इलाकों में शोर इतना अधिक है कि कक्षा में शिक्षक की आवाज़ तक छात्रों तक साफ नहीं पहुँच पा रही।
परीक्षाएं सिर पर हैं, रेल परीक्षा चल रही है, मैट्रिक तथा इंटर परीक्षा की तैयारी में छात्र जुटे हैं तथा सिलेबस पर फोकस कर रहे हैं पर स्कूल के आसपास का माहौल पढ़ाई जैसा बिल्कुल नहीं रह गया है। अभिभावकों और स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश है। उनका कहना है कि प्रशासन ने एक “स्थानीय आयोजन” को छात्रों के भविष्य से ऊपर रख दिया, जो गंभीर लापरवाही है।
अभिभावकों ने सवाल उठाया
“क्या हाई स्कूल परिसर खेल आयोजनों का मैदान है या शिक्षा का केंद्र? स्कूल के ठीक बगल में इतने शोर वाले आयोजन की अनुमति किस आधार पर दी गई?” स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि टूर्नामेंट समिति ने मंच, पिच और अन्य तैयारियों को बहाना बनाकर स्कूल की पढ़ाई पर पड़ने वाले प्रभाव को पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर दिया। शिक्षकों का कहना है कि कक्षाएं बाधित हो रही हैं और छात्रों की एकाग्रता टूट रही है। लोगों का मानना है कि यह केवल शोर-शराबा नहीं, बल्कि बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ है। अभिभावकों और बुद्धिजीवियों ने प्रशासन से तुरंत एक्शन की मांग करते हुए कहा है कि—
या तो आयोजन स्थल बदला जाए, या टूर्नामेंट की अनुमति तत्काल रद्द की जाए, ताकि स्कूल क्षेत्र में शांत और शिक्षण योग्य माहौल बहाल हो सके। स्थानीय जनता का साफ संदेश है— “खेल जरूरी है, लेकिन बच्चों की पढ़ाई से ऊपर नहीं।” हालांकि इस बारे में जब स्कूल के प्रधानाध्यापक मनोज कुमार रजक से बात की गई तो उनका कहना था कि आयोजन समिति को स्कूल की छुट्टी के बाद मैच प्रारंभ करने के शर्त पर इजाजत दी गई थी। वहीं स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के कई अभिभावकों ने स्कूल के मैदान में क्रिकेट टूर्नामेंट आयोजन की शिकायत ट्वीट तथा मेल के जरिए शिक्षा सचिव से करने की बात कही है। उनका कहना है कि खेल और मनोरंजन से परहेज नहीं है और बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए यह जरूरी भी है परंतु यह आयोजन बच्चों की पढ़ाई की कुर्बानी के शर्त पर हरगिज नहीं होनी चाहिए। आयोजन के समय को लेकर उनका भारी एतराज है यह आयोजन गर्मी की छुट्टी या अन्य छुट्टियों में होनी चाहिए थी।
