sunil verma
रांची: झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की सीजीएल परीक्षा पेपर लीक मामले को लेकर आजसू ने मुख्यमंत्री सचिवालय को ज्ञापन सौप आयोग के कार्यालय के समक्ष आंदोलनरत हजारों अभ्यर्थियों पर दर्ज प्राथमिकी को निरस्त करने की मांग की है। 28 जनवरी को हुए परीक्षा के तृतीय पेपर के प्रश्न लीक का मामला सामने आने के बाद जेएसएससी ने सम्पूर्ण परीक्षा को रद्द तो कर दिया है परंतु पेपर लीक मामले में अभी तक एक भी प्राथमिकी दर्ज ना होना सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करता है। 08 वर्षों बाद हुई भर्ती परीक्षा के अभ्यर्थियों में परीक्षा प्रश्न लीक मामले के बाद आयोग के प्रति रोष और सरकार द्वारा बार बार कदाचार मुक्त परीक्षा ना करा पाने को लेकर घोर हताशा और निराशा है। आजसू के रांची विश्वविद्यालय अध्यक्ष अभिषेक शुक्ला ने कहा कि जेएसएससी सहायक शाखा अधिकारी, प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी, प्रखंड कल्याण पदाधिकारी, योजना सहायक, प्रखंड पंचायत राज अधिकारी जैसे विभिन्न पदों के लिए भर्ती लेने में बारंबार असफल रहा है। जेएमएम, कांग्रेस, राजद व वाम दलों वालों महागठबंधन के की अगुवाई में कई बार नए सिरे से परीक्षा कराने की बात कही गई। 5 मई 2021 को परीक्षा नोटिफिकेशन जारी किया गया, मई 2022 में परीक्षा होनी थी। फिर कहा गया 21 अगस्त 2022 को परीक्षा होगी। 28 जुलाई 2022 को आयोग ने नोटिस जारी किया। कहा उॠछ परीक्षा 2021 अपरिहार्य कारणों से स्थगित कर दी गई है। वर्ष 2024 के 28 जनवरी और 04 फरवरी को परीक्षा की तिथि निर्धारित हुई। अभ्यर्थियों में एक उम्मीद जगी की इस बार सरकार परीक्षा प्रक्रिया को पूर्ण करा पाएगी, मगर पुन: पेपर लीक ने सरकार, आयोग और परीक्षा एजेंसी की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। सदन में आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष श्री सुदेश कुमार महतो जी द्वारा इस विषय को उठाए जाने के बाद सरकार द्वारा पहला कदम उठाते हुए एसआईटी जांच का आदेश देना संतोषजनक तो है परंतु यह भी सत्य है की जब तक दोषियों पर कठोरतम करवाई नही हो जाती, आजसू आंदोलनरत रहेगा। आजसू के रांची विश्वविद्यालय सचिव प्रियांशु शर्मा ने कहा कि जेएसएससी-सीजीएल परीक्षा में कथित गड़बड़ियों के खिलाफ आयोग कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन कर रहे हजारों छात्रों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। महागठबंधन सरकार के शासन काल में अपने हकझ्र अधिकार के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 47/148/149/307/186/188/323/332/504/506/427 और प्रीवेंशन आॅफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट में मुकदमा दर्ज किया गया है । पेपर लीक करने के दोषी को दंडित करने की प्राथमिकता के उलट अभ्यर्थियों पर प्राथमिकी दर्ज करना निंदनीय है। जिला प्रशासन (उपायुक्त एवम पुलिस प्रशासन सहित) और परीक्षा संबंधी आउटसोर्सिंग एजेंसियों को बता मामले से पल्ला झाड़ने का प्रयास किया है। इस मामले में आयोग की भूमिका की भी गहन जांच की जाए।
