पहली विदेश यात्रा पर आए राष्ट्रपति दिसानायके, कहा- भारत की सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखेगा श्रीलंका

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Eksandeshlive Desk

नई दिल्ली : भारत और श्रीलंका ने पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों का मुकाबला करने के साथ-साथ एक स्वतंत्र, खुले, सुरक्षित और संरक्षित हिंद महासागर क्षेत्र को सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता दोहराई है। इस संबंध में श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके ने अपने देश की स्थापित नीति को दोहराते हुए आश्वस्त किया है कि वह भारत की सुरक्षा के साथ-साथ क्षेत्रीय स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि श्रीलंका अपनी धरती का किसी भी तरीके से प्रतिकूल उपयोग करने की अनुमति नहीं देगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके ने भारत की अपनी राजकीय यात्रा के दौरान सोमवार को नई दिल्ली में अपनी बैठक में व्यापक और उपयोगी चर्चा की। दोनों नेताओं ने इस बात की पुष्टि की कि भारत-श्रीलंका द्विपक्षीय साझेदारी गहरे सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों, भौगोलिक निकटता और लोगों से लोगों के संबंधों पर आधारित है। दोनों देशों की ओर से जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि आतंकवाद, नशीली दवाओं/मादक पदार्थों की तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग जैसे विभिन्न सुरक्षा खतरों का संज्ञान लेते हुए दोनों नेता प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण, खुफिया जानकारी और सूचना साझा करने के प्रयासों को और मजबूत करने पर सहमत हुए। इस संबंध में बड़ी मात्रा में नशीले पदार्थों की तस्करी करने वाले जहाजों को जब्त करने में भारतीय और श्रीलंकाई नौसेनाओं के सहयोग प्रयासों में हाल की सफलता का उल्लेख किया गया और राष्ट्रपति दिसानायके ने भारतीय नौसेना का आभार जताया।

भारत और श्रीलंका के बीच बुधवार को आय पर करों के संबंध में राजकोषीय चोरी की रोकथाम से जुड़े प्रोटोकॉल में संशोधन और श्रीलंका के 1500 सिविल सेवकों के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण दो समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। भारत की ओर से लाभार्थियों के शैक्षणिक पाठ्यक्रमों के अंत तक जाफना विश्वविद्यालय और पूर्वी विश्वविद्यालय से प्रत्येक वर्ष 100 नए छात्रों को वित्तीय सहायता योजना और महो-अनुराधापुरा खंड में सिग्नलिंग परियोजना के लिए 14.9 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुदान सहायता की घोषणा की गई। राष्ट्रपति दिसानायके ने चल रहे ऋण पुनर्गठन के बावजूद परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए भारत के निरंतर समर्थन की सराहना की। उन्होंने उन परियोजनाओं के लिए अनुदान सहायता बढ़ाने के भारत के निर्णय को भी स्वीकार किया, जो मूल रूप से क्रेडिट लाइन के माध्यम से शुरू की गई थीं, जिससे श्रीलंका का ऋण बोझ कम हो गया।

दोनों पक्षों मछुआरों की आजीविका संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए मानवीय तरीके से इनका समाधान जारी रखने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की। इस संबंध में उन्होंने किसी भी आक्रामक व्यवहार या हिंसा से बचने के लिए उपाय करने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके राजकीय यात्रा पर भारत में हैं। तीन दिवसीय यात्रा कल शाम से शुरू हुई थी। कल नई दिल्ली पहुंचने के तुरंत बाद विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने राष्ट्रपति से मुलाकात की। इसके बाद एनएसए अजीत डोभाल और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी राष्ट्रपति से मुलाकात की। आज सुबह उन्हें राष्ट्रपति भवन में राजकीय सम्मान दिया गया। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और श्रीलंका के राष्ट्रपति के बीच दिल्ली के हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई।

वार्ता के बाद आयोजित पत्रकार वार्ता में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंका दौरे का निमंत्रण स्वीकार किया। तारीखों पर राजनयिक माध्यम से आपसी सहमति होनी चाहिए। वार्ता में विक्रम मिस्री ने श्रीलंका के आर्थिक सुधार में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत श्रीलंका का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार, पर्यटन स्रोत और निवेश प्रदाता बना हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि अडाणी निवेश और कोलंबो पश्चिमी तट टर्मिनल पर कोई चर्चा नहीं हुई। वार्ता के बाद दोनों नेताओं ने संयुक्त रूप से प्रेस वक्तव्य दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भारत और श्रीलंका के सुरक्षा हित एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि रक्षा सहयोग समझौते को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा। प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि श्रीलंका सरकार तमिलों की आकांक्षाओं को पूरा करेगी और श्रीलंका के संविधान के पूर्ण कार्यान्वयन और प्रांतीय परिषद के चुनाव कराने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करेगी। उन्होंने राष्ट्रपति दिसानायके को आश्वासन दिया है कि भारत कई मायनों में श्रीलंका के विकास के उनके प्रयासों में एक विश्वसनीय और भरोसेमंद भागीदार बना रहेगा।

श्रीलंका के राष्ट्रपति ने अपने वक्तव्य में इस बात का जिक्र किया कि श्रीलंका का राष्ट्रपति बनने के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा है। उन्होंने कहा कि इस यात्रा ने दोनों देशों के बीच सहयोग को और विकसित करने का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने कहा कि हम मछुआरों के मुद्दे का एक टिकाऊ और टिकाऊ समाधान भी खोजना चाहते हैं जो हमारे दोनों देशों के लिए नासूर बन गया है। उस क्षेत्र में मछुआरों द्वारा बॉटम ट्रॉलिंग सिस्टम अपनाए जा रहे हैं और इसे समाप्त करने की आवश्यकता है। इससे इस उद्योग को नुकसान होगा। संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच भारतीय मूल के तमिल समुदाय, पूर्वी प्रांत और श्रीलंका में धार्मिक स्थानों के सौर विद्युतीकरण के लिए परियोजनाओं के समय पर कार्यान्वयन के लिए पूर्ण समर्थन प्रदान करने और श्रीलंका सरकार की जरूरतों और प्राथमिकताओं के अनुरूप विकास साझेदारी के लिए नई परियोजनाओं और सहयोग के क्षेत्रों की पहचान करने पर भी दोनों देशों की बीच सहमति बनी है।