पॉलिटिकल स्टंट या राहत : नीतीश का जहरीली शराब पर एक और यू-टर्न

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बिहार राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साल 2016 में अपने राज्य के लिए अहम फैसला लिया था. उन्होंने बिहार में पुर्ण शराबबंदी की घोषणा की थी. लेकिन 2016 से अब तक करीब 6 लाख लोगों पर इस कानून  के तहत मुकदमा दर्ज हो चुका है, और लाइव हिन्दुस्तान के एक खबर के मुताबिक फिलहाल के दिनों में  मोतीहारी में जहरीली शराब पिने के बाद करीब 40 लोगों की मौत हो गई. इसके बाद बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने यह ऐलान किया है कि जिन लोगों कि मौत जहरीली शराब पीने से हुई है. उनके परिजनो को सरकार 4 लाख रुपऐ का मुआवजा देगी.

हालांकि पिछले साल(2022) के दिसंबर में छपरा के अलग-अलग इलाकों में जहरीली शराब पीने से 77 लोगों कि जान चली गई थी. उस वक्त मुआवजे कि बात पर सीएम नीतीश कुमार ने कहा था कि शराब खराब चीज है जो पिएगा वो मरेगा. सरकार इस मामले में मुआवजा नहीं दे सकती. लेकिन अब सरकार ने अपना फैसला बदल दिया है. जहरीली शराब के कारण हुई मौत पर सरकार उनके परिजन को सीएम रिलीफ फंड से 4-4 लाख रुपए का मदद करेगी.

कौन कौन कर सकते हैं आवेदन.

जिनके परिजनों की मौत 2016 से अब तक जहरीली शराब पीने से हुई है वो डीएम कार्यालय में जाकर आवेदन कर सकते हैं. लेकिन आवेदन के लिए मृतक का पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट होना अनिवार्य होगा. उसके बाद दस्तावेजों का सत्यापण होगा और फिर परिजनों को मुआवजे की राशि मिल जाएगी.

भाजपा इसे अपनी जीत बता रही है.

एक तरफ नीतीश कुमार का ये फैसला सराहा जा रहा है. वहीं विपक्ष में बैठी भाजपा इसे अपनी जीत बता रही है. दरअसल छपरा में हुए जहरीली शराब से  से मौत के बाद भाजपा मृतक के परिजनों के लिए मुआवजा की मांग कर रही थी. उस वक्त नीतीश कुमार मे कहा था कि जो शराब पिएगा वो मरेगा इसलिए सरकार मुआवजा नहीं दे सकती. लेकिन अब सरकार ने मुआवजा देने का आदेश पारित कर दिया है. ऐसे में इस फैसले को चुनावी स्टंट भी कहा जा रहा है. क्योंकि अगले साल लोकसभा का चुनाव होना है और उसके बाद विधानसभा का भी चुनाव होना हैं. ऐसे में नितीश सरकार दलित और पिछड़ा वर्ग को खुश करने में लगा है क्योंकि जहरीली शराब के कारण मरने वालों में अधिक शंख्या  दलित और पिछड़ा वर्ग की है.