प्रदीप वर्मा के नॉमिनेशन एफिडेविट पर झामुमो ने खड़ा किया सवाल

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रांची: झामुमो ने कहा कि एफिडेविट के संपत्ति ब्योरे में अपनी चल-अचल संपत्ति को छिपाया है यहां तक कि कई जानकारियां भी छुपायी हैं। उनकी संपत्ति उत्तर प्रदेश से लेकर यहां तक कहां-कहां क्या-क्या है। इसके सारे दस्तावेज पार्टी के पास हैं। चूंकि अब लोकसभा चुनाव होने हैं, इसे लेकर इलेक्शन कमीशन व्यस्त रहेगा। इसलिए अब चुनाव के बाद झामुमो इलेक्शन कमीशन में जाकर सारे दस्तावेज के साथ मिलेगा और इस निर्वाचन को चुनौती देगा। उक्त बातें गुरूवार को पार्टी के प्रधान महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कही.उन्होंने कहा कि संपत्ति सहित कई जानकारियां प्रदीप वर्मा ने छुपायी, बाबूलाल जवाब दें।भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा जो आदिवासी अस्मिता की बात करते हैं। इनके राज्यसभा प्रत्याशी ने मूल निवास को एफिडेविट में छुपाया. उसे रांची बताया. वोटर खिजरी का है। उनको राज्यसभा भेजा. राज्यसभा में नामांकन के समय एक एफिडेविट देना पड़ता है। आपका और आपकी पत्नी की संपत्ति कितनी है, वो भी आपने दिया. बच्चों के नाम कितनी है, वो भी दिया. मगर प्रदीप वर्मा ने संपत्तियों का ब्योरा छिपाया। आपने बड़ी गलती कर दी है. आप 2000 में रांची आये और बिरला के फर्म में चाकरी के नाम पर आप उनके हॉस्पिटल और स्कूल के प्रबंध निदेशक के तौर पर काम शुरू किया और केयर टेकर भी थे लेकिन 2000 के बाद जिस प्रकार से वर्मा की संपत्ति दिन दोगुनी, रात चौगुुनी हुई. वह अप्रत्याशित है. प्रदीप वर्मा ने रघुवर काल में इतनी परिसंपत्ति अर्जित की जिसे आप लिखना भी उचित नहीं समझें। इनके पास अनेकों संपत्ति है जिसका जिक्र एफिडेविट में नहीं है। अनगड़ा थाना के महशेपुर में एक फार्म हाऊस है. खेल गांव में उनका फ्लैट है, जिसका पेपर नागार्जुन कंपनी के साथ करार का पेपर मौजूद है. पंडरा के पास एक फ्लेट के मालिक हैं. सरला-बिरला के अंदर दवाई दुकान है वह प्रदीप वर्मा की है। कई एनजीओ व अरगोड़ा में भी भूखंड है। धनबाद में भी है. दो भूखंड आजमगढृृ है, हो सकता है एक पुस्तैनी हो। लेकिन आजमगढ़ में एक शानदार महल भी खड़ा किया गया है आपके डीड में आपने अपको व्यवसायी बताया किसी भी डीड में आजमगढ़ का पता नहीं है।। कहीं महिलौंग का पता है, कभी विलेज आरा का पता है, कहीं पर पुरूलिया रोड का पता है यह सारी चीजे हैं यहां तक कि प्रदीप वर्मा ने कॉलानी बसाएं हैं. प्रदीप वर्मा ने डेवलपरों के साथ 40 प्रतिशत के एवज में डेवलपमेंट एग्रीमेंट किया है यहां तक इन्होने अपने पिता का नाम कहीं पर रामअवतार प्रसाद बताया और कहीं पर रामअवतार कुमार प्रसाद बताया। कहीं पर रामअवतार वर्मा बताया. आप बहुत बोलते थे. वर्मा ने अपने एफिडेविट में न खुद को कर्मचारी बताया न व्यवसायी बताया। आपने सात बैंक खाते का जिक्र किया सभी राष्ट्रीयकृत बैंक में इनके खाते हैं ।

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