प्रधानमंत्री की जापान, चीन यात्राः एससीओ शिखर वार्ता के इतर द्विपक्षीय वार्ताएं भी संभव

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Eksandeshlive Desk

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 अगस्त की शाम को जापान की आधिकारिक यात्रा पर रवाना होंगे। वे जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के साथ 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 29 और 30 अगस्त को जापान में रहेंगे। इसके बाद प्रधानमंत्री चीन 31 अगस्त और 1 सितंबर को शंघाई सहयोग परिषद (एससीओ) के राष्ट्राध्यक्षों की 25वीं बैठक के लिए तियानजिन, चीन का दौरा करेंगे। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मंगलवार को यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि एससीओ शिखरवार्ता से इतर कई द्विपक्षीय बैठकें भी आयोजित की जाएंगी। हम अभी भी इन बैठकों को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं। विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने बताया कि एससीओ बैठक का कार्यक्रम 31 अगस्त की शाम स्वागत भोज और 01 सितंबर को मुख्य शिखर बैठक का होगा। एससीओ के सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष इसमें शामिल होंगे। आतंकवाद पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में तन्मय लाल ने कहा कि एससीओ की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से उत्पन्न चुनौतियों का मुकाबला करना था। यह चुनौती अब भी बनी हुई है। एससीओ की पिछली घोषणाओं में सीमा-पार आतंकवाद सहित सभी प्रकार के आतंकवाद की निंदा की गई है। आगामी घोषणा-पत्र में भी इस पर बल दिया जाएगा।

जापान की आठवीं यात्रा होगी : उल्लेखनीय है कि वर्तमान में यह संगठन 10 सदस्य देशों से मिलकर बना है- भारत, बेलारूस, चीन, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान। इसके साथ ही कई संवाद साझेदार और पर्यवेक्षक देश भी जुड़े हैं। संगठन का सचिवालय बीजिंग में स्थित है और ताशकंद में इसका क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी ढांचा कार्यरत है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि यह प्रधानमंत्री मोदी की लगभग सात वर्षों में जापान की पहली स्वतंत्र यात्रा है। पिछली बार वे 2018 में वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए गए थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद यह उनकी जापान की आठवीं यात्रा होगी। मोदी और इशिबा पहले भी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के दौरान मिल चुके हैं। अब टोक्यो में होने वाली वार्षिक बैठक में इन चर्चाओं को आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत और जापान लोकतांत्रिक मूल्यों और समान रणनीतिक दृष्टिकोण साझा करते हैं। दोनों देशों के बीच संबंधों का दायरा व्यापार, निवेश, रक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, आधारभूत संरचना, जन-से-जन संपर्क और सांस्कृतिक सहयोग तक फैला है। शिखर सम्मेलन में इन सभी पहलुओं की विस्तृत समीक्षा और नए पहल की शुरुआत होने की संभावना है। विदेश सचिव ने बताया कि भारत-जापान रक्षा सहयोग हाल के वर्षों में एक मजबूत स्तंभ के रूप में उभरा है। मई 2025 में दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में रक्षा उपकरण और तकनीकी सहयोग पर चर्चा हुई। दोनों पक्ष यूनिकॉर्न परियोजना के तहत एक साझा रडार मास्ट विकसित कर रहे हैं। भारतीय नौसेना और जापान मेरीटाइम सेल्फ-डिफेंस फोर्स जहाजों के रखरखाव में सहयोग की संभावनाओं की भी समीक्षा कर रहे हैं। भारत के डीआरडीओ और जापान के एटीएलए के बीच निरंतर विचार-विमर्श जारी है। मिस्री ने कहा कि भारत और जापान की अंतरिक्ष एजेंसियां लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन मिशन पर साथ काम कर रही हैं। यह भारत के चंद्रयान-5 मिशन से जुड़ा हुआ है और भारतीय अंतरिक्ष स्टार्टअप्स को अवसर प्रदान करता है।

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