अजय राज
प्रतापपुर(चतरा): प्रतापपुर प्रखंड में कर्मचारियों की लापरवाही से सरकार द्वारा संचालित योजना ठीक ढंग से लागू नही हो पा रहा है। नतीजन लाभुक ऑनलाइन कराने के बाद महीनो दर दर की ठोकरें खाते फिर रहे हैं। ताजा मामला मुख्यमंत्री कन्यादान योजना से संबंधित है। लाभुक के परिजन गीता देवी तथा एक अन्य परिजन राजेंद्र ठाकुर ने बताया की बहुत मुश्किल से कर्ज लेकर बेटी का ब्याह लगभग छः सात माह पूर्व कराए थे। उसके बाद सरकार द्वारा शुरू किया गया कन्यादान योजना का लाभ लेने के लिए पिछले सितंबर माह में प्रज्ञा केंद्र से मैरिज सर्टिफिकेट के लिए ऑन लाइन कराए थे। परंतु ऑनलाइन कराए चार महीना से ज्यादा हो जाने के बाद भी आज तक प्रतापपुर के पंचायत सचिव के द्वारा लॉगिन से सर्टिफिकेट नही छोड़ा गया है। कई बार इसको लेकर उनसे बात हुई है परंतु कोई न कोई बहाना बना कर टाल दिया जाता है। उन लोगों ने आगे कहा की मैरिज सर्टिफिकेट नही बनने से हम लोग कन्यादान योजना का फॉर्म नही जमा कर पा रहे हैं। सरकार हम गरीबों के लिए योजना तो खूब लाती है परंतु उसका लाभ लेने के लिए भी जमकर पसीना बहाना पड़ता है गरीब का कोई सुनने वाला नहीं है। जब इस बारे में संबंधित पंचायत के पंचायत सचिव विजय लाल से बात की गई तो उन्होंने बताया की मुझे आईडी पासवर्ड नही मिला है आप बीडीओ साहेब से बात कर लीजिए।। अब सबसे बड़ा सवाल यह है की आईडी पासवर्ड या डोंगल आदि बनवाना या जेनरेट करवाने की जवाबदेही किसकी है। कर्मचारी की लापरवाही का खमियाजा बेचारा लाभुक क्यों झेले। पूरे मामले को लेकर जब प्रखंड विकास पदाधिकारी अभिषेक पांडे से बात की गई तो उन्होंने तत्काल संज्ञान लेते हुए संबंधित पंचायत के पंचायत सचिव विजय लाल से बात करने की बात कही।
बताते चलें की झारखंड सरकार लड़कियों की बाल विवाह जैसी प्रथाओं पर रोक लगाने, महिलायों को शिक्षित करने तथा आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने आदि के लिए लड़की के विवाह पर 30 हजार रुपए की सहायता राशि प्रदान करती है।यह राशि प्राप्त करने के लिए लाभुक को अन्य दस्तावेज के साथ शादी का पंजीयन प्रमाणपत्र के साथ फॉर्म भर कर कल्याण विभाग में जमा करना होता है।उसके बाद विभाग के द्वारा तमाम तरह की जांच परख के बाद लाभुक के खाते में 30 हजार रुपए की सहायता राशि निर्गत की जाती है। परंतु इस तरह सिर्फ मैरिज सर्टिफिकेट जारी करने में पंचायत सचिव के द्वारा लापरवाही बरती जाएगी तो यह तो सीधे तौर पर सरकारी योजना का क्रियान्वयन में लापरवाही के साथ साथ सरकार को उंगली दिखाने जैसा ही माना जाएगा।
