प्रतापपुर प्रखंड में आवास योजना में लूट की छूट, संबंधित विभाग, अधिकारी व कर्मी चुप

360° Ek Sandesh Live

अजय राज
प्रतापपुर(चतरा): प्रतापपुर प्रखंड में अबूआ आवास तथा प्रधानमंत्री आवास योजना में महा घोटाला का खुलासा हुआ है। जहां अबुआ आवास या पीएम आवास योजना का उद्देश्य गरीब व बेघर परिवारों को पक्के मकान उपलब्ध कराना है वहीं यह योजना प्रतापपुर प्रखंड में भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुकी है। प्रखंड के कई पंचायतों में आवास राशि की हेराफेरी ,एक ही व्यक्ति को दो-दो आवास, अयोग्य लाभुकों को योजना का लाभ, बिना आवास बनाए पुराने बने आवास पर हीं फर्जी जियो टैग कर राशि का बंदरबांट और दलालों के द्वारा आवास का लेबर डिमांड का पैसा अपनों के खाते में ट्रांसफर कराने का खेल लगातार खेला जा रहा है परंतु दोषियों पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई जिससे इनके हौसले बुलंद हैं।
इस बीच प्रतापपुर प्रखंड के एधारा पंचायत से एक सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है जिसने पूरे प्रशासनिक तंत्र की पोल खोल कर रख दी है।इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि बिना आवास निर्माण किए बिना हीं पूरी राशि की निकासी कर ली गई है जिस तरह प्रखंड में आवास योजना में घपला , घोटाला और भ्रष्टाचार सामने आ रहा है उससे यह साफ जाहिर होता है कि अधिकारी, मुखिया और प्रखंड कर्मियों की पूरी मिली भगत है।दरअसल पूरा मामला एघारा पंचायत के जुड़ी रबदा गांव का है। इसी गांव के रहने वाले सुधीर कुमार भारती ने उपायुक्त चतरा को दिए गए आवेदन में पंचायत के मुखिया पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उनकी मां कौशल्या देवी के नाम से वर्ष 2023 में प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हुआ था। इसके लिए तीन किस्तों में कुल 1 लाख 30 हजार रुपया उनके खाते में आया। लेकिन पंचायत की मुखिया मालती देवी और उनके पति सुरेन्द्र भारती ने धोखे से दो किस्तों की राशि 40 हजार और 85 हजार रुपये मिलाकर कुल 1 लाख 25 हजार रुपया हड़प लिए। सुधीर भारती का आरोप है कि मुखिया पति सुरेन्द्र भारती ने उन्हें राजपुर ग्राम स्थित एक बैंक बीसी सेंटर पर ले जाकर अंगूठा लगवाया और आवास की राशि निकालकर खुद रख लिया। जब सुधीर ने मकान बनाने की मांग की तो उसे धमकी दी गई कि ज्यादा बोलोगे तो बुरा अंजाम होगा।यह घटना बताती है कि योजना का पैसा गरीब तक पहुंचने के बजाय पंचायत प्रतिनिधियों और उनके परिजनों की जेब में जा रहा है। पहले भी आवास योजना में फर्जीवाड़ा, रिश्वतखोरी और लाभुकों से वसूली की खबरें सामने आ चुकी हैं।कई जगहों पर बिना मकान बने ही राशि की निकासी, नकली लाभुकों के नाम पर आवास की स्वीकृति, दूसरे पंचायतों को तो छोड़िए दूसरे राज्य से प्रतापपुर आकर भाड़े के मकान में रहने वालों को भी मोटी रकम लेकर पंचायत के मुखिया के द्वारा आवास आबंटित कर दिया गया है।लोगों का कहना हैं कि सरकार की योजना कागजों पर भले ही गरीबों के लिए बनाई जाती है परंतु हक्कीकत में यह लूट का और भ्रष्टाचार का और काली कमाई का जरिया भी है।।लोगों ने आगे कहा कि मनरेगा हो या आवास योजना हो या 15 वीं वित्त हो, कई मायने में कार्य कागजों पर दिखा कर मार्च क्लोज के अंतिम महीने में कई पंचायत के मुखिया तथा अधिकारी की मिली भगत से फिफ्टीन फाइनेंस के लाखों लाख रुपए एक हफ्ते के अंदर हीं एकल खाता में , एक हीं एजेंसी के खाते में ट्रांसफर कर फर्जी बिल बाउचर लगा कर बंदर बांट कर लिया गया है।। लोगों का तो यहां तक कहना है कि पूरे मामले की यदि स्वतंत्र एजेंसी आदि से निष्पक्ष जांच कराई जाए तो कई पूर्व एवं वर्तमान पदाधिकारियों व कर्मियों पर भी गाज गिर सकती है।। अब लोगों की नजर तेज तरार तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की ख्यालात रखने वाली चतरा उपायुक्त महोदया पर है कि उपरोक्त मामले में क्या कार्यवाही होती है यह देखना बाकी है।

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