प्रत्यर्पण प्रक्रिया सुगम बनाने के लिए राज्य सरकारें भगोड़े अपराधियों का विशेष सेल स्थापित करें : अमित शाह

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इस वर्ष अब तक 35 भगोड़ों का प्रत्यर्पण कर भारत लाने में सफलता, विभिन्न देशों में प्रत्यर्पण के 338 प्रस्ताव लंबित: सीबीआई निदेशक

Eksandeshlive Desk

नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को सभी राज्य सरकारों से अपील की कि वे अपने-अपने राज्य की राजधानी में भगोड़े अपराधियों के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ (स्पेशल सेल) स्थापित करें, ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपराधियों के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को सुचारू और प्रभावी बनाया जा सके। शाह ने कहा कि ऐसे प्रकोष्ठ की उपलब्धता नहीं होने से कई बार विदेशी न्यायालयों में भारत की ओर से पेश किए जाने वाले प्रत्यर्पण मामलों में मानवाधिकार और कारागार स्थितियों जैसे बहाने सामने आते हैं, जिससे प्रक्रिया जटिल हो जाती है। वे यहां गुरुवार को आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन के ‘भगोड़े अपराधियों का प्रत्यर्पण- चुनौतियां और रणनीतियां’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस सम्मेलन का आयोजन केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा किया गया है, जिसमें केंद्र और राज्य स्तर की विभिन्न जांच एवं सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी शामिल हुए। अमित शाह ने कहा कि भारत में अब एक संस्थागत और संगठित तंत्र की आवश्यकता है, जो भगोड़े अपराधियों की खोज, गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण की दिशा में ठोस कार्य करे। उन्होंने कहा कि हमें उन अपराधियों के खिलाफ भी उतनी ही सख्ती दिखानी होगी जो विदेशों में बैठकर भारत विरोधी गतिविधियां चला रहे हैं। गृह मंत्री ने कहा कि भारत में लंबे समय से भगोड़े अपराधियों के प्रत्यर्पण के मामले में संगठित प्रयास और स्पष्ट रोडमैप का अभाव रहा है। उन्होंने कहा कि प्रक्रियाएं तो थीं लेकिन उनमें समन्वय और साझा दृष्टिकोण की कमी थी। अब यह सम्मेलन उस दिशा में नई शुरुआत है। शाह ने सभी राज्यों से कहा कि वे अपने यहां भगोड़े अपराधियों के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कारागार प्रकोष्ठ बनाएं। विदेशी न्यायालयों में कई बार अपराधी यह दलील देते हैं कि भारतीय जेलों की स्थिति मानक के अनुरूप नहीं है। शाह ने कहा कि भले ही यह बहाना हो लेकिन इसे समाप्त करने के लिए हमें हर राज्य में ऐसा प्रकोष्ठ बनाना चाहिए जो अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करता हो। गृह मंत्री ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध रेड कॉर्नर नोटिस जारी होते ही उसका पासपोर्ट तुरंत ज़ब्त या रद्द कर देना चाहिए ताकि वह देश छोड़ कर भाग न सके। उन्होंने कहा कि यदि पासपोर्ट जारी करने की प्रक्रिया में ही यह व्यवस्था जोड़ दी जाए तो भगोड़ों को वापस लाने में बहुत मदद मिलेगी।

भगोड़ों का एक वैज्ञानिक डेटाबेस तैयार किया जाना चाहिए : अमित शाह ने कहा कि भगोड़ों का एक वैज्ञानिक डेटाबेस तैयार किया जाना चाहिए, जिसे सभी राज्य पुलिस बलों के साथ साझा किया जा सके। इस भंडार में यह विवरण होना चाहिए कि भगोड़ा किस अपराध में फरार हुआ, उसका नेटवर्क कहां-कहां है और प्रत्यर्पण की प्रक्रिया किस चरण में रुकी है। उन्होंने सुझाव दिया कि नार्को, गैंगस्टर, वित्तीय और साइबर अपराधों के मामलों के लिए एक फोकस ग्रुप बनाया जाए, जिसे गुप्तचर ब्यूरो (आईबी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के मार्गदर्शन में मल्टी एजेंसी सेंटर के माध्यम से संचालित किया जाए। गृह मंत्री ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 355 और 356 में “अनुपस्थिति में मुकदमा (ट्रायल इन एब्सेंशिया)” का जो प्रावधान किया गया है, उसका राज्यों को अधिकाधिक प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा, “यदि कोई व्यक्ति भगोड़ा घोषित हो जाता है तो उसकी अनुपस्थिति में भी अदालत मुकदमे की सुनवाई कर सकती है। एक बार जब वह सजायाफ्ता घोषित होता है तो अंतरराष्ट्रीय कानूनों में उसके दर्जे में बड़ा परिवर्तन आता है, जिससे प्रत्यर्पण आसान हो जाता है।” अमित शाह ने बताया कि मोदी सरकार ने धनशोधन निवारण कानून (पीएमएलए) को और सशक्त बनाया है। पिछले चार वर्षों में दो अरब डॉलर की वसूली हुई है और 2014 से 2023 के बीच लगभग 12 अरब डॉलर मूल्य की संपत्तियां ज़ब्त की गई हैं। उन्होंने कहा कि साल 2018 में लाए गए भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम (फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर एक्ट) ने इस दिशा में सरकार को बड़ी कानूनी शक्ति दी है। गृह मंत्री शाह ने कहा कि भारत की प्रत्यर्पण प्रणाली को मजबूत करने के लिए स्ट्रेटेजिक अप्रोच, ऑर्गनाइज्ड एग्जीक्यूशन और संचार के निर्बाध प्रवाह की दिशा में सुधार की आवश्यकता है। सीबीआई इस दिशा में नामित एजेंसी है और राज्यों को भी इसके सहयोग से अपने स्तर पर इकाइयां (यूनिट्स) स्थापित करनी चाहिए ताकि अपने-अपने राज्य से भागे भगोड़ों को वापस लाने के लिए प्रभावी तंत्र तैयार हो सके। अमित शाह ने विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले समय में भारत की कानून व्यवस्था इतनी सशक्त होगी कि अपराध और अपराधी की चाल चाहे कितनी भी तेज़ क्यों न हो, न्याय की पहुंच उससे अधिक तेज़ होगी। सम्मेलन में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक प्रवीण सूद ने बताया कि इस वर्ष अब तक 35 भगोड़ों का प्रत्यर्पण भारत लाया जा चुका है, जबकि 338 प्रत्यर्पण प्रस्ताव विभिन्न देशों में लंबित हैं। जनवरी से सितंबर 2025 के बीच 189 नोटिस जारी किए गए, जिनमें 89 लाल कोने की सूचनाएं (रेड नोटिस) और 110 नीली सूचनाएं (ब्लू नोटिस) शामिल हैं- यह संख्या सीबीआई की स्थापना के बाद अब तक की सर्वाधिक है।

अबूझमाड़ और नॉर्थ बस्तर नक्सल मुक्त घोषित : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को नक्सलियों को स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि जो आत्मसमर्पण करेंगे उनका स्वागत है, लेकिन जो बंदूक उठाए रहेंगे उन्हें सुरक्षा बलों की कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। शाह ने छत्तीसगढ़ के दो नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को आतंकमुक्त घोषित करते हुए कहा कि सरकार 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करने के संकल्प पर दृढ़ है। अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर बताया कि छत्तीसगढ़ में आज 170 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जबकि एकदिन पहले 27 नक्सलियों ने हथियार डाले थे। महाराष्ट्र में भी 61 नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में वापसी की। इस तरह पिछले दो दिनों में कुल 258 वामपंथी उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। शाह ने लिखा, “हिंसा छोड़कर भारत के संविधान में विश्वास पुनर्स्थापित करने वाले सभी नक्सलियों के निर्णय की मैं सराहना करता हूं। केंद्र सरकार के निरंतर प्रयासों का ही यह परिणाम है कि नक्सलवाद अब अपनी आखिरी सांसें ले रहा है।” गृह मंत्री ने आगे कहा, “हमारी नीति स्पष्ट है- जो आत्मसमर्पण करना चाहते हैं उनका स्वागत है, लेकिन जो लोग हथियार उठाए रहेंगे उन्हें सुरक्षा बलों की कठोर कार्रवाई झेलनी पड़ेगी। सभी नक्सलियों से मेरी अपील है कि वे अपने हथियार त्यागकर मुख्यधारा में लौट आएं।” एक अन्य पोस्ट में शाह ने कहा कि “यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि एक समय आतंक का गढ़ रहे छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ और नॉर्थ बस्तर को आज नक्सली हिंसा से पूरी तरह मुक्त घोषित कर दिया गया है। अब केवल साउथ बस्तर में छिटपुट नक्सली बचे हैं, जिन्हें सुरक्षा बल शीघ्र ही समाप्त कर देंगे।” शाह ने बताया कि जनवरी 2024 में छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार बनने के बाद से 2100 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, 1785 गिरफ्तार किए गए हैं और 477 को सुरक्षा बलों ने मार गिराया है। ये आंकड़े केंद्र और राज्य सरकार की उस दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रमाण हैं, जिसके तहत 31 मार्च 2026 से पहले देश को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है।

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