विपुल नायक और गार्गी शोम ने अपने मनमोहक नृत्य से संस्कार भारती रांची महानगर में चार चाँद लगाया
Eksandeshlive Desk
रांची: संस्कार भारती रांची महानगर द्वारा राधा–कृष्ण रूप सज्जा प्रतियोगिता का आयोजन अत्यंत श्रद्धा और उत्साहपूर्ण वातावरण में किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य बच्चों के मन में सांस्कृतिक चेतना का संचार करना तथा भारतीय परंपरा एवं कला से जुड़ाव को सुदृढ़ करना रहा।
प्रतियोगिता में दो आयु वर्ग – 2 से 4 वर्ष तथा 5 से 7 वर्ष – के बच्चों ने राधा–कृष्ण का रूप धर कर अपनी मनमोहक प्रस्तुतियों से दर्शकों को भावविभोर कर दिया। निर्णायक मंडल में डॉ. सुशील कुमार अंकन, सुजाता मजूमदार और विश्वनाथ प्रसाद सम्मिलित थे।
परिणाम इस प्रकार रहे –
2 से 4 वर्ष वर्ग: कविता शंकर (प्रथम), दक्ष पाठक (द्वितीय), राधवी पाठक (तृतीय), रेयांश सिन्हा (चतुर्थ), आद्या कक्कड़ (पंचम)।
5 से 7 वर्ष वर्ग: आकांक्षा जाना (प्रथम), आद्य गुप्ता (द्वितीय), तृषि मालाकार (तृतीय), अविसा अलीन मिंज (चतुर्थ), अयांश अन्थोनी लकड़ा (पंचम)। सभी विजेताओं को उपहार एवं प्रमाण पत्र प्रदान किए गए, जबकि शेष प्रतिभागियों को भी प्रमाण पत्र देकर प्रोत्साहित किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ रामानुज पाठक एवं डॉ. सुशील अंकन द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। तत्पश्चात सुजाता मजूमदार के निर्देशन में प्रस्तुत संस्कार भारती ध्येय गीत और सरस्वती वंदना ने वातावरण को सुरमयी बना दिया। विशेष आकर्षण के रूप में विपुल नायक एवं गार्गी शोम ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। इनके नेतृत्व में प्रस्तुत नृत्य–नाटिका ने कृष्ण–लीला की अद्भुत झलक दर्शकों को कराई। उनके एकल नृत्य ने भी सभागार में उत्साह और उल्लास का संचार किया। दोनों कलाकारों को संस्कार भारती की ओर से स्मृति–चिह्न देकर सम्मानित किया गया। आयोजन में उपाध्यक्ष आशुतोष प्रसाद ने स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन महामंत्री शशिकला पौराणिक ने प्रभावशाली ढंग से किया। अंत में सभी प्रतिभागियों एवं अतिथियों ने मिलकर कृष्ण महाआरती तथा वंदे मातरम् का सामूहिक गायन किया। इस अवसर पर राकेश रमन, मधुरेश चंद्रा, वीना चंद्रा, गीता सिंह, रेणुबाला धर, अनूप मजूमदार, जवाहरलाल, मयंक मिश्रा, अमरेश कुमार सहित अनेक गणमान्य नागरिक, अभिभावक एवं कला–साहित्य–संस्कृति प्रेमी उपस्थित थे। संस्कार भारती, रांची महानगर के पदाधिकारियों ने विश्वास व्यक्त किया कि ऐसे आयोजन बच्चों के व्यक्तित्व विकास में सहायक सिद्ध होंगे और भारतीय संस्कृति से उनके जुड़ाव को और गहरा करे।