Eksandeshlive Desk
नई दिल्ली : राज्यसभा में मंगलवार को ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारे सुरक्षा बलों ने 22 अप्रैल को पहलगाम में 26 लोगों की हत्या करने वाले द रेजिस्टेंस फ्रंट के तीन आतंकवादियों को सफलतापूर्वक मार गिराया है। भारत की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा सुनिश्चित करने में हमारी सेनाओं और अन्य सुरक्षा बलों की भूमिका की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। आतंकवाद के खिलाफ भारत किसी भी हद तक जाएगा। आज का भारत ईट का जवाब पत्थर से देता है। इस ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करना और यह स्पष्ट संदेश देना था कि भारत आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की शुरुआत करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देने से पहले हमारी सेनाओं ने हर पहलू का गहराई से अध्ययन किया। हमारे पास कई विकल्प थे। लेकिन हमने उस विकल्प को चुना जिसमें, आतंकवादियों और उनके ठिकानों को तो अधिकतम नुकसान पहुंचे लेकिन पाकिस्तान के आम नागरिकों को कोई क्षति न पहुंचे।
“ऑपरेशन सिंदूर फिलहाल रुका है” : राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर फिलहाल रुका है, लेकिन समाप्त नहीं हुआ है, अगर पाकिस्तान फिर कोई दुस्साहस करता है तो इसे पुनः शुरू करने में हिचकिचाएंगे नहीं। भारत आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा, सुरक्षा बलों को लक्ष्य चुनने की पूर्ण स्वतंत्रता दी गई। ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाया कि भारत अपनी संप्रभुता और आत्म-सम्मान की रक्षा करना जानता है और आतंकवाद के खिलाफ वह किसी भी हद तक जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष को यह लगता है कि हमने ऑपरेशन सिंदूर करके ठीक नहीं किया, तो उन्हें जनता को बताना चाहिए कि उनके पास इसका विकल्प क्या है? हमारी माताओं-बहनों का सिंदूर उजड़ गया, तो क्या हम पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक व्यवहार करें? क्या हम पाकिस्तान को डोजियर सौंपें? क्या हम अंतरराष्ट्रीय संगठनों में जाकर केवल बातें करें? जब हमारे विपक्ष के साथी सत्ता में थे तो आतंकी हमले होने पर, वे ऐसे ही कदम उठाया करते थे। रक्षा मंत्री ने कहा कि एक दिन ऐसा आएगा जब पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) के लोग भारत की शासन प्रणाली का हिस्सा होंगे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने और आतंकवादियों ने भारत को हमेशा अपने टारगेट पर रखा। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, हमने यह सुनिश्चित किया है कि हम पाकिस्तान के लिए इस नजरिये को बदल देंगे और हम आतंकवाद को उनके लिए उच्च लागत वाला वेंचर बनाएंगे ताकि आतंकियों के जेहन में यह बात बैठ जाए कि यदि हमारे एक भी भारतीय नागरिक को कुछ हुआ, तो उनके पूरे आतंकी ठिकाने को हम नेस्तनाबूत कर देंगे। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता द्वारा विपक्ष को प्रश्न पूछने के अलावा, एक और जिम्मेदारी दी जाती है। और वह जिम्मेदारी है कि अगर विपक्ष को, सत्ता पक्ष की कोई नीति या कार्रवाई अनुचित प्रतीत हो, तो उसके स्थान पर एक विकल्प निति या एक्शन प्लान प्रस्ताव करना। राजनाथ सिंह ने कहा कि कुछ लोगों को लगता है कि पाकिस्तान के पास न्यूक्लियर हथियार हैं, तो उनसे केवल बातचीत करनी चाहिए। इस न्यूक्लियर लफ्फेबाजी के कारण, हमने न जाने कितने नागरिकों को खो दिया। हमारी सोच है कि हम ईंट का जवाब पत्थर से देंगे। आज देश की जनता को भारतीय जनता पार्टी की इस सोच के प्रति अटूट विश्वास दिखाई पड़ता है। पर विपक्ष क्या चाहता है, यह अभी भी समझ के बाहर है। कांग्रेस जब सत्ता में थी तो उसकी पॉलिसी परालिसिस ने देश को नुक़सान पहुंचाया। और आज जब आप विपक्ष में हैं तो वे नीतियों के दिवालियापन से गुजर रहे हैं। देश के लिए और लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय बन चुकी है।
बाप मरा अंधियारे मा, बेटवा क नाम पावर हाउस : राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान विपक्ष का कहना था कि हमें पॉक ऑक्यूपाइड कश्मीर यानी पीओके पर कब्जा कर लेना चाहिए था। हमेशा से ही भारतीय जनता पार्टी का यही स्टैंड रहा है। वह दिन दूर नहीं, जब पीओके के लोगों को भारतीय शासन व्यवस्था का अंग बनने का सौभाग्य प्राप्त होगा। विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए एक कहावत का जिक्र करते हुए राजनाथ सिंह कहा कि ‘बाप मरा अंधियारे मा, बेटवा क नाम पावर हाउस। यानी बाप जीवन भर अंधेरे में रहा और बेटे ने अपना नाम पावर हाउस रख लिया है। जब विपक्ष के हमारे मित्र देश की शासन व्यवस्था चला रहे थे, तो उन्होंने और उनके राजनीतिक वरिष्ठों ने भारत में हुए आतंकी हमलो के जवाब में पाकिस्तान पर कोई कार्रवाई नहीं की। क्योंकि उन्हें डर था कि पाकिस्तान एक न्यूक्लियर देश है। आज जब हम पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं, तो मुझे इस अंधेरे और पावर हाउस वाली बाप बेटे की कहानी याद आ रही है।राजनाथ सिंह ने कहा कि आज सारी दुनिया जान चुकी है कि पाकिस्तान आतंकवाद का मुख्य केन्द्र है। जिस देश ने आतंक को अपनी राज्य नीति का औज़ार बना लिया हो, उसके लिए लम्बे समय तक यह खेल खेलना संभव नहीं है। जो लोग सांपों को अपने घर में पालते हैं, एक दिन वह सांप उन्हें भी डस लेता है। आतंकवाद का यह कारोबार आज पाकिस्तान को महंगा पड़ रहा है। आतंकवाद भी एक महामारी है, इसकी नियति भी यही है। लेकिन इसे अपनी मौत मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता। क्योंकि जब तक आतंकवाद है, यह हमारी सामूहिक शांति, विकास और समृद्धि को चुनौती देता रहेगा। हमारे संसाधन इस आतंकवाद रूपी महामारी से लड़ने में बर्बाद होते रहेंगे। इसलिए आतंकवाद की इस समस्या का स्थायी समाधान बहुत ही आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को फंडिंग और शरण देने वाले देशों को भी, आज दुनिया के बेनकाब करना जरूरी है। पाकिस्तान को जो पैसा या आर्थिक सहायता मिलती है, उसका एक बड़ा हिस्सा आतंकवाद के कारखाने में खर्च किया जाता है। यह बात पूरी दुनिया के सामने आ रही है। पाकिस्तान को फंडिंग का मतलब है, आतंकवाद के इंफ्रास्ट्रक्चर को फंडिंग। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस विदेशी फंडिंग को बंद करना होगा। पाकिस्तान आतंकवाद की नर्सरी है। इसको खाद पानी नहीं मिलनी चाहिए।