राम का वनवास सत्य, धर्म और कर्तव्य के प्रति अडिग समर्पण का प्रतीक: संगीता किशोरी जी

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हुटुप गौशाला धाम में श्री राम कथा का छठा दिन वन गमन और केवट प्रसंग

Eksandeshlive Desk

रांची: हुटुप गौशाला धाम में चल रही श्री राम कथा के छठे दिन सुप्रसिद्ध कथा वाचिका सुश्री संगीता किशोरी जी ने वन गमन एवं केवट प्रसंग पर एक मार्मिक और गहन कथा प्रस्तुत की, जिसे श्रद्धालु श्रद्धा और भावुकता के साथ सुन रहे थे। संगीता किशोरी जी ने रामायण के इस महत्वपूर्ण प्रसंग को अत्यंत विस्तार से और भावपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया, जिससे श्रोताओं के हृदय को गहरी छाप मिली। वन गमन का प्रसंग में संगीता किशोरी जी ने राम के वन गमन की कथा को भावनाओं और त्याग के साथ जोड़ा। जब राजा दशरथ ने राम को अयोध्या का राजा बनाने का निर्णय लिया, तो यह रानी कैकयी की द्वार से उपजी प्रतिज्ञा के कारण राम को अपने परिवार और घर को छोड़कर वनवास जाना पड़ा। किशोरी जी ने इस प्रसंग के माध्यम से यह बताया कि राम का वनवास केवल एक भौतिक यात्रा नहीं थी, बल्कि यह एक महान आत्मिक तपस्वी जीवन का हिस्सा था। राम का वनवास सत्य, धर्म और कर्तव्य के प्रति अडिग समर्पण का प्रतीक था। उनके वन गमन ने यह सिद्ध किया कि संसारिक सुख और पद-प्रतिष्ठा से कहीं बड़ा है धर्म और आत्मिक शांति। केवट प्रसंग कथा में केवट के राम से मिलन को भी अत्यधिक मार्मिक रूप से प्रस्तुत किया गया। जब राम और लक्ष्मण गंगा के किनारे पहुंचे और केवट ने उन्हें नाव में बैठाकर पार करने का प्रस्ताव रखा, तो संगीता किशोरी जी ने केवट की भक्ति को बेहद सजीव तरीके से चित्रित किया। केवट की भक्ति केवल बाह्य रूप से नहीं, बल्कि उसके हृदय की गहराई में बसी हुई थी। उसने राम से कहा कि वह उनकी सेवा करने के लिए तैयार है, लेकिन उसे उनका चरणामृत प्राप्त करने की इच्छा है। यह प्रसंग यह सिद्ध करता है कि भगवान की भक्ति किसी भी रूप और स्थान से हो सकती है, और भगवान अपने भक्तों के प्रेम को सर्वोच्च स्थान देते हैं। सुश्री संगीता किशोरी जी की कथा में हर प्रसंग जीवन के गहरे अर्थ को उजागर करता है। वन गमन और केवट प्रसंग ने हमें यह सिखाया कि जीवन में कठिनाइयाँ, त्याग और समर्पण के बावजूद सच्चे कर्तव्य का पालन करना चाहिए। श्रीराम के आदर्शों का पालन करके हम अपने जीवन को पवित्र और सार्थक बना सकते हैं। इस दिन की कथा ने सभी श्रोताओं को जीवन के सत्य, धर्म और भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।यह श्रीराम कथा न केवल धार्मिक ज्ञान का भंडार है, बल्कि हमारे जीवन को सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है। कथा के दौरान जीवंत झांकियां देखकर उपस्थित श्रद्धालु भाव विभोर हो गये। छठे दिन भी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। कार्यक्रम के मीडिया प्रभारी संजय सर्राफ ने बताया कि इस अवसर पर-कार्यक्रम के संयोजक बासुदेव भाला एवं मुकेश काबरा, किशन साबू, प्रदीप राजगढ़िया, महेश्वर सिंह, अनिल साबू, किरण साबू, प्रेमलता काबरा, रेणु फ्लोर, सूची राजगढ़, सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण क्षेत्रों से महिलाएं पुरुष उपस्थित थे। 23 मार्च रविवार को श्री राम कथा में शबरी प्रसंग पर कथा होगी, तथा अपराह्न- 11:30 बजे से कथा स्थल में महाप्रसाद का आयोजन किया गया है।