रामगढ़ : मजदूरी के भुगतान के मुद्दे पर बंद होगा सिरका लोकल सेल

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Eksandeshlive Desk

रामगढ़ : मजदूरी के भुगतान के मुद्दे पर एक बार फिर सिरका लोकल सेल बंद होगा। 27 दिसंबर से अनिश्चितकालीन बंदी का ऐलान सेल संचालन समिति ने किया है। बंदी से पहले समिति के पदाधिकारियों ने सीसीएल के पदाधिकारी और रामगढ़ जिला प्रशासन को इसकी सूचना दी है।

सेल संचालन समिति के अध्यक्ष राजेश बेदिया ने बताया कि लोकल सेल को शांतिपूर्ण और मजदूर हित में चलाने को लेकर कई महीनो से जारी विवाद खत्म हो गया था। साथ ही सौहार्दपूर्ण वातावरण में सेल को संचालित करने का फैसला भी हुआ था। इस दौरान यह निर्देश भी जारी किया गया था कि मजदूरों का बकाया मजदूरी लिफ्टर से प्राप्त कर भुगतान कर दिया जाए। लेकिन लिफ्टर अब किसी की बात नहीं मान रहे हैं। इस मुद्दे पर सेल्स संचालन समिति ने यह फैसला किया है कि मजदूरों का बकाया मजदूरी शीघ्र भुगतान किया जाए। अन्यथा 27 दिसंबर से सिरका कोलियरी का उत्पादन और संप्रेषण अनिश्चितकालीन के लिए बंद कर दिया जाएगा। इसकी जवाबदेही स्थानीय सीसीएल प्रबंधन और जिला प्रशासन की होगी।

सेल संचालन समिति के अध्यक्ष राजेश बेदिया ने बताया कि समिति और कांग्रेसी नेता समसूद खान के बीच 20 दिसंबर को एसडीओ कार्यालय में वार्ता हुई थी। उस दौरान एसडीओ अनुराग कुमार तिवारी और रामगढ़ विधायक ममता देवी भी मौजूद थी। इस वार्ता में सितंबर माह से मजदूरों का बकाया मजदूरी कोयला व्यवसायियों के प्रतिनिधियों से लेकर मजदूरों के बीच भुगतान करने का फैसला हुआ था। एसडीओ और ममता देवी ने मौखिक आदेश दिया था, लेकिन उसके बावजूद भुगतान नहीं हो सका।

राजेश बेदिया ने बताया कि 17 दिसंबर को सिरका रोड सेल संचालन समिति और प्रभावित समसूद खान के बीच समझौता हुआ था। इस समझौते में कांग्रेस को कुल 15 दंगल का नेतृत्व करने का आदेश समिति के द्वारा दिया गया था। सब कुछ होने के बावजूद मुख्य मुद्दा ही भटक गया। मजदूरों को मजदूरी का भुगतान करने से रोक दिया गया है। अब समिति खुद ही इस मुद्दे पर मुखर रूप से आगे आ चुकी है और सिरका कोलियरी में उत्पादन ठप करने का फैसला लिया गया है।

इस प्रकरण पर एसडीओ अनुराग कुमार तिवारी ने कहा कि सिरका सेल संचालन समिति और सीसीएल के बीच कई महीने से विवाद चल रहा है। सेल में भी कई गुट हैं जो एक दूसरे के साथ भिड़ते रहते हैं। वह आपस में कैसे ताल में बिठाएंगे यह उनका व्यक्तिगत निर्णय है। अगर मजदूरी की बात है तो सीसीएल प्रबंधन फैसला ले सकती है। अगर वहां विधि व्यवस्था बिगड़ती है तो जिला प्रशासन कदम उठाएगा।