Eksandeshlive Desk
राँची : किसी भी क्षेत्र में देखें तो नियमित प्रशिक्षण उसका प्रमुख अंग होता है चाहे वह मेडिकल हो, शिक्षा हो, प्रशासन हो उसी प्रकार संगठन का यह अभ्यास वर्ग नियमित कार्यकर्ता प्रशिक्षण का महत्वपूर्ण भाग है। यह बात शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला सह अभ्यास वर्ग के प्रस्ताविक सत्र को संबोधित करते हुए न्यास की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ पंकज मित्तल ने कही। उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा में जो बदलाव की हम अपेक्षा कर रहे हैं उसे सबसे पहले हमें स्वयं आत्मसात् करना होगा। विकसित भारत में हमारी क्या भूमिका है हमें विचार करना चाहिए।
अभ्यास वर्ग की प्रस्तावना रखते हुए शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने कहा कि अभ्यास वर्ग यानी प्रैक्टिस सेशन और जीवन में जो जिस भी क्षेत्र में काम करता है उसे अभ्यास करना आवश्यक है। हम शिक्षा क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं, इसलिए यह नियमित प्रक्रिया है। कोई भी कार्य करना है उसको सोच समझ कर कन्विंस होकर कार्य करना आवश्यक। हम किसी व्यक्ति के कारण यहाँ नहीं है हमारा लक्ष्य एक है इसलिए हम सभी यहाँ एक साथ बैठे हैं। उन्होंने आगे कहा कि देश और दुनिया में आज जो भी समस्या है उसका स्थायी समाधान शिक्षा के माध्यम से ही हो सकता है।
बैठक के द्वितीय दिवस के विषय में जानकारी देते हुए प्रांत संयोजक अमरकान्त झा ने कहा कि द्वितीय दिवस प्रमुख रूप से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सुचारू क्रियान्वयन एवं चुनौतियाँ विषयक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। साथ ही विभिन्न संगठनात्मक विषयों पर चर्चा सत्र आयोजित किए गये।
प्रस्ताव के विषय में जानकारी देते हुए महाकौशल प्रांत के अध्यक्ष डॉ अजय तिवारी ने बताया कि न्यास के इस प्रस्ताव में भारतीय भाषा, चरित्र निर्माण, मूल्यों व संस्कारों की शिक्षा, भारतीय ज्ञान परम्परा का शिक्षा में समावेश, शिक्षकों का प्रशिक्षण व शिक्षण एवं शिक्षा में व्यवहारिकता, कौशल विकास जैसे विषयों पर शासन और समाज का ध्यान आकर्षित कर चुनौतियों से अवगत करवाने हेतु प्रस्ताव पारित किया गया। उन्होंने आगे कहा कि न्यास का मानना है शिक्षा जगत की चुनौतियाँ मात्र सरकार की नहीं बल्कि समाज और शिक्षा क्षेत्र की भी चुनौतियाँ है। लोकतंत्र में किसी नीति के सफल क्रियान्वयन के लिए ज़रूरी है सरकार और समाज का समन्वित प्रयास है।