Eksandeshlive Desk
रांची : रांची में कांके अंचल के मौजा नगड़ी में प्रस्तावित रिम्स-02 परियोजना को लेकर विरोध और विवाद बढ़ता ही जा रहा है। झारखंड सरकार की इस प्रस्तावित परियोजना के विरोध में हजारों की संख्या में आदिवासी मूलवासियों ने रविवार को अधिग्रहित भूमि पर हल-बैल चलाकर जोरदार प्रदर्शन किया। रांची के कांके अंचल अतर्गत मौजा नगड़ी में प्रस्तावित रिम्स -02 परियोजना को लेकर न केवल आंदोलनकारी ग्रामीण सड़कों पर उतरे, बल्कि लगभग 1074 करोड़ की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए अधिग्रहित जमीन पर हल से जुताई व धान रोपनी कर सरकार को स्पष्ट संदेश दिया कि वे अपनी जमीन किसी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे।
सरकार खेती योग्य जमीन पर जबरन परियोजना थोप रही : झारखंड क्रांतिकारी लोकतांत्रिक मोर्चा (जेएलकेएम) के केंद्रीय उपाध्यक्ष देवेंद्रनाथ महतो ने इस मौके पर कहा कि उनका संगठन विकास का विरोधी नहीं है, लेकिन सरकार खेती योग्य जमीन पर जबरन परियोजना थोप रही है। यह जमीन रैयतों की आजीविका का आधार है और बिना संवैधानिक अधिग्रहण प्रक्रिया के इसे छीनना असंवैधानिक है। उन्होंने चेतावनी दी कि पुलिस बल और प्रशासनिक दबाव के बावजूद नगड़ी की कृषि भूमि का अवैध अधिग्रहण नहीं होने दिया जाएगा। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता कमलेश राम ने कहा कि राज्य सरकार मनमानी पर उतर आई है। कृषि योग्य भूमि में रिम्स या कुछ और बनाना कहीं से न्याय नहीं है। उन्होंने कहा कि ग्रामवासी विकास विरोधी नहीं है लेकिन उसके लिए परियोजना को सही जगह उतारने की जरूरत है। यहां ग्रामवासी सालों से खेती बाड़ी करते आ रहे हैं और इसे सरकारी परियोजना के नाम पर छीन लेना कहीं से न्याय संगत नहीं है।
सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए परियोजना स्थल पर पहुंचे आंदोलनकारी : उधर, आंदोलन के मद्देनजर जिला प्रशासन ने परियोजना स्थल के 200 मीटर परिधि में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। सुबह ही पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को उनके आवास पर नजरबंद कर दिया गया, ताकि वे प्रदर्शन में शामिल न हो सकें। इसके बावजूद जेकेएलएम के नेता देवेंद्रनाथ महतो प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए हल और बैल के साथ आंदोलन स्थल पहुंचे और कार्यकर्ताओं के साथ खेत की जुताई की। महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में लोकगीत गाते हुए धान की रोपनी की और सरकार के खिलाफ नारे लगाए। गौरतलब है कि इससे पहले भी देवेंद्रनाथ महतो और बड़ी संख्या में ग्रामवासी भाजपा, आजसू समेत अन्य नेताओं ने बीआईटी द्वारा 281 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के खिलाफ हल चला कर ही आंदोलन की शुरुआत की थी। आज का यह ‘खेत जोतो, रोपा रोपो’ आंदोलन नगड़ी जमीन बचाओ संघर्ष समिति के आह्वान पर हुआ, जिसे विभिन्न राजनीतिक दलों, किसान संगठनों और सामाजिक संगठनों का व्यापक समर्थन मिला। रिम्स-2 की जमीन पर हल बैल चलाकर विरोध करनेवालों में बड़ी संख्या में महिलाएं, बुजुर्ग और ग्रामीण शामिल रहे।