रिम्स पार्ट-2 की बात करने वाली सरकार गरीबों को एम्बुलेंस देने में असमर्थ : राफिया नाज

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sunil

रांची: झारखंड राज्य के विभिन्न जिलों से लगातार ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं जो न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की जर्जर स्थिति को उजागर करती हैं, बल्कि सरकार की प्राथमिकताओं पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाती हैं। झारखंड प्रदेश राफिया नाज ने झारखंड सरकार को कटघरे में खड़ा करते इस पर गहरी चिंता और कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि रिम्स पार्ट-2 की बात करने वाली सरकार गरीबों एम्बुलेंस देने में असमर्थ। उन्होंने कहा एक ओर सरकार सभी को स्वास्थ्य का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर जमीनी हालात इतने भयावह हैं कि गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति समय पर अस्पताल तक नहीं पहुंच पा रहा। यह एक साधारण प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि आम नागरिकों के जीवन और स्वास्थ्य के अधिकार का सीधा उल्लंघन है। राफिया नाज ने कहा कि गोड्डा जिले में एक मासूम बच्ची की मृत्यु की घटना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह पूरी मानवता को झकझोर देने वाली त्रासदी है। केवल एंबुलेंस समय पर न पहुंच पाने के कारण एक मासूम की जान चली गई, जबकि परिजनों ने बार-बार सहायता के लिए कॉल किए। इसी तरह की एक और घटना चतरा जिले में घटी, जहाँ सुकुल भुइयां की मौत भी एंबुलेंस की देरी के कारण हुई। इन घटनाओं ने यह साफ कर दिया है कि झारखंड में एंबुलेंस सेवा लगभग निष्क्रिय हो चुकी है। उन्होंने कहा राज्य में एंबुलेंस सेवा की स्थिति पर बोलते हुए राफिया नाज ने कहा कि झारखंड में 32% सेवा-योग्य एंबुलेंसें बंद हालत में हैं। उन्होंने यह सवाल उठाया कि जब जनता के टैक्स से इन सेवाओं को चलाया जा रहा है तो फिर रखरखाव और मरम्मत के लिए धन का प्रबंधन क्यों नहीं हो रहा। उन्होंने जोर दिया कि यदि इतनी बड़ी संख्या में एंबुलेंसें निष्क्रिय हैं तो यह सीधे तौर पर जनता की जान के साथ खिलवाड़ है।राफिया नाज ने यह भी कहा राज्य में केवल वाहनों की ही नहीं, बल्कि संसाधनों और मानवबल की भी गंभीर कमी है। कई जिलों में एक ही एंबुलेंस पर पूरा प्रखंड निर्भर है। कई गाड़ियों में प्रशिक्षित चालक और सहायक कर्मियों की भारी कमी है, जिससे आपातकालीन सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। उन्होंने इसे ह्लसंवेदनशील शासन के खोखले दावे करार दिया। उन्होंने एक और महत्वपूर्ण तथ्य उजागर किया कि एंबुलेंस सेवा में कार्यरत कई कर्मचारियों को महीनों से वेतन नहीं मिला है। ऐसे में सरकार उनसे लगातार सेवा की अपेक्षा कैसे कर सकती है, जबकि उन्हें उनकी मेहनत का पारिश्रमिक समय पर नहीं मिल रहा उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में कर्मचारियों का मनोबल टूटता है और सेवा की गुणवत्ता प्रभावित होती है। राफिया नाज ने कहा कि ह्लझारखंड को एक स्वस्थ और सुरक्षित राज्य बनाने के लिए सबसे पहले उसकी स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना होगा। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि ह्लजनहितह्व को सिर्फ नारों से नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर क्रियान्वित किया जाए। उन्होंने अंत में सरकार को स्पष्ट संदेश देते हुए कहाअब और मौतें नहीं, अब सुधार चाहिए। राफिया नाज ने स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली पर गंभीर चिंता जताते हुए झारखंड सरकार और स्वास्थ्य विभाग से कहा कि पहली प्राथमिकता निष्क्रिय एंबुलेंसों की तत्काल मरम्मत होनी चाहिए ताकि वे फिर से सेवा में आ सकें। प्रत्येक 10,000 जनसंख्या पर कम-से-कम एक एंबुलेंस की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।

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