रविन्द्रनाथ ठाकुर की शिक्षकीय यात्रा, संघर्ष की पगडंडी से सपनों के शिखर तक

360° Education Ek Sandesh Live

जिसने बचपन से जगाई शिक्षा की लौ, उसे मिला शिक्षक बनने का गौरव

News by Sunil Verma

रांची : मोरहाबादी मैदान में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने चयनित हजारों अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किया। शिक्षक के पद के लिए चयनित अभ्यर्थियों को भी नियुक्ति पत्र प्रदान किये गये। इन अभ्यर्थियों के चेहरों पर मुस्कान बिखेरने वाला रहा, परंतु सबसे अधिक विशेष किसी के लिए था तो वह थे पलामू के पंडवा प्रखंड स्थित तुकबेरा गांव के निवासी रविन्द्रनाथ ठाकुर ,जिन्होंने अपने संघर्ष, समर्पण और शिक्षा के प्रति असाधारण निष्ठा से आज वह मुकाम पा लिया, जिसके वे बरसों से हकदार थे। शिक्षक पद का उनका नियुक्ति पत्र, उम्र की पात्रता सीमा के लगभग अंतिम पड़ाव पर मिलना, मानो इस बात का साक्ष्य है कि सच्चा परिश्रम कभी व्यर्थ नहीं जाता।

“शुरुआती संघर्ष, पर अडिग धैर्य

रविन्द्र नाथ ठाकुरअपने क्षेत्र में रविन्द्र सर नाम से पहचाने जाने वाले ने स्वयं नौवीं कक्षा में पढ़ते हुए ही आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को शिक्षा देना शुरू कर दिया था। तुकबेरा गांव में उनके द्वारा जगाई गई शिक्षा की पहली अलख आज भी वहां के लोगों की स्मृतियों में सजीव है। पिता सीसीएल में कार्यरत थे, अब सेवानिवृत्त। मां-पिता का आशीर्वाद और मार्गदर्शन अवश्य मिला, परंतु वे अपनी पढ़ाई के लिए कभी परिवार पर निर्भर नहीं रहे। एकलौते पुत्र होने के नाते जिम्मेदारियां अधिक थीं, लेकिन उन्होंने हौसले को कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया।टीयूशन पढ़ाकर स्वयं की शिक्षा पूरी करने वाले, रविन्द्र सर ने कभी रुकना नहीं सीखा।

ऑफलाइन हो या ऑनलाइन। शिक्षण उनका जुनून नहीं, बल्कि धर्म बन गया। समय के साथ उनके पढ़ाए हुए छात्रों ने विभिन्न सरकारी विभागों में सफलता पाई, और आज वही विद्यार्थी, गर्व के साथ अपने ह्यरविन्द्र सरह्ण को प्रणाम करते दिखाई देते हैं। एक पारा-शिक्षक के रूप में भी उनका समर्पण कम नहीं हुआ। वे मानते हैं शिक्षा का अलख जगाकर समाज व राज्य को दिशा देना ही मेरा जीवन-सपना रहा है।आज जब उन्हें सरकारी शिक्षक की नियुक्ति मिली, तो यह सिर्फ एक पद नहीं, बल्कि उनके जीवनभर के तप का प्रतिफल है। तुकबेरा से लेकर संपूर्ण पंडवा, फिर पलामू और अब झारखंड तक—उनके नियुक्ति पत्र की खबर से खुशी की लहर दौड़ गई है। युवाओं और प्रतियोगी परीक्षार्थियों में अलग ही उत्साह है। उन्हें लगता है कि अब और भी छात्र-छात्राएँ रविन्द्र सर के मार्गदर्शन से लाभान्वित होंगे।

रविन्द्रनाथ ठाकुर की कहानी सिर्फ सफलता की नहीं
यह संघर्ष, आत्मनिर्भरता, कर्तव्यनिष्ठा और शिक्षा के प्रति अदम्य श्रद्धा की कहानी है। यह कहानी बताती है कि परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन हों,जो व्यक्ति दूसरों के जीवन में रोशनी फैलाता है, उसका मार्ग स्वयं प्रकाश से भर जाता है।

Spread the love