संस्कृत विभाग में किया गया शिक्षक दिवस का आयोजन

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Eksandeshlive Desk

रांची: डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय रांची के संस्कृत विभाग में शुक्रवार को शिक्षक दिवस का आयोजन किया गया। जिसमें विद्यार्थियों ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से शिक्षकों के प्रति अपने भावों को व्यक्त किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। दीप प्रज्वलन के पश्चात्‌ विजय राज नंद द्वारा वैदिक मङ्गलाचरण प्रस्तुत किया गया। इसके उपरान्त तनु, प्रेरणा और पल्लवी द्वारा लौकिक मङ्गलाचरण की प्रस्तुति की गई। प्रतिमा, रैना, निकिता, वर्षा आदि ने गीत प्रस्तुत किया। विभाग के छात्र सुरेंद्र महतो ने शिक्षक दिवस के महत्त्व को रेखांकित किया। इसके पश्चात्‌ शोभा मुंडा ने स्तोत्र प्रस्तुति की। सुरभि सिंह ने श्लोक प्रस्तुति द्वारा अपने ज्ञान और संस्कृत भाषा के प्रति अपनी निष्ठा को दर्शाया। अनामिका भारती ने एकल नृत्य और तनु सिंह ने भजन प्रस्तुत कर समस्त श्रोताओं को भक्ति और श्रद्धा के रस में डूबो दिया। दीप एक्का, अनामिका, निकिता और गुड़िया ने समूह नृत्य की प्रस्तुति देकर कार्यक्रम को एक नयी ऊर्जा और उत्साह से भर दिया।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजकीय संस्कृत महाविद्यालय के वरीय शिक्षक डॉ. शैलेश कुमार मिश्र ने अपने उद्बोधन कहा कि शिक्षक अपने ज्ञान, अनुभव और मार्गदर्शन से विद्यार्थियों के चरित्र का निर्माण करते हैं जिससे वे समाज के उत्तरदायी नागरिक बनते हैं। डॉ. मिश्र ने शिक्षक दिवस के महत्त्व को समझाते हुए विद्यार्थियों को शिक्षकों का सदैव सम्मान करने और उनकी शिक्षा को जीवन में उतारने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय राँची के संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. धनंजय वासुदेव द्विवेदी ने कहा कि शिक्षा का लक्ष्य केवल प्रमाणपत्र प्राप्त करना नहीं है बल्कि ज्ञानार्जन, चरित्र निर्माण और समाज सेवा का भाव विकसित करना भी है। डॉ. द्विवेदी ने विद्यार्थियों को शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित किया और कहा कि सफलता प्राप्त करने के लिए लक्ष्य निर्धारण, कड़ी मेहनत, अनुशासन और आत्मसंयम अनिवार्य हैं।
विभागीय शिक्षिका डॉ. श्रीमित्रा ने कहा कि शिक्षा के मूल्यों को अपने जीवन में उतारकर ही सच्ची शिक्षा प्राप्त की जा सकती है। डॉ. श्रीमित्रा ने शिक्षा के माध्यम से आत्मविकास और आत्मसाक्षात्कार की महत्ता पर बल दिया और विद्यार्थियों को प्रेरित किया कि वे शिक्षा को जीवन का अभिन्न अंग बनाएं। विभागीय शिक्षक डॉ. जगदम्बा प्रसाद ने शिक्षकों के समाज में योगदान और उनकी महत्ता पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शिक्षक समाज के पथप्रदर्शक होते हैं और उनकी निःस्वार्थ सेवा के बिना समाज का उत्थान असंभव है। उन्होंने बताया कि शिक्षक विद्यार्थियों के मार्गदर्शक, मित्र और परामर्शदाता होते हैं, जो उन्हें जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करते हैं। मेनका कुमारी ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। आयोजन का समापन शान्ति मंत्र से हुआ जिसे प्रेरणा कुमारी ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन प्रतिमा चौहान और शिवम नारायण ने किया।