साय सरकार ने की 450 करोड़ रुपये के शराब घोटाले की जांच सीबीआई से करने की सिफारिश

CHHATTISHGARH

Eksandeshlive Desk

रायपुर : छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने ईओडब्ल्यू में दर्ज 450 करोड़ रुपये के आबकारी (शराब) घोटाले की जांच सीबीआई से करने की सिफारिश की है। मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुसार इस घोटाले की फाइल सीबीआई दफ्तर दिल्ली को भेजी गई है। माना जा रहा है कि सीबीआई जल्द ही शराब घोटाले की जांच शुरू करेगी। छत्तीसगढ़ ईओडब्ल्यू ने झारखंड के रांची के कारोबारी विकास सिंह की शिकायत पर 450 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप दर्ज किया है।

पूर्ववर्ती कांग्रेस की भूपेश सरकार के समय हुए शराब घोटाले को लेकर छत्तीसगढ़ एसीबी और ईओडब्ल्यू की ओर से 7 सितंबर 2024 को एफआईआर दर्ज की गई थी। इस मामले में छत्तीसगढ़ के रिटायर्ड आईएएस अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी जो कांग्रेस सरकार में आबकारी विभाग के प्रबंध संचालक रह चुके हैं, उनके अलावा कारोबारी अनवर ढेबर समेत सहित और भी आरोपी हैं। एजेंसियों ने झारखंड के रांची के कारोबारी विकास सिंह की शिकायत पर 450 के घोटाले का आरोप यहां दर्ज किया है। उनका आरोप है कि छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के साथ मिलकर झारखंड में शराब घोटाला किया गया है, जिससे करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है।

धोखाधड़ी और आपराधिक षडयंत्र रचने की धाराओं में आर्थिक अपराध अन्वेषण और एंटी करप्शन ब्यूरो की ओर से यह एफआईआर दर्ज की गई। इसमें बताया गया है कि आरोपी अनिल टुटेजा, अरूणपति त्रिपाठी और उनके सिंडिकेट ने झारखंड के अधिकारियों के साथ मिलकर सभी ने साजिश के तहत झारखंड की आबकारी नीति में फेल बदल किया। इसके बाद राज्य में देसी और विदेशी शराब का टेंडर भी सिंडिकेट के लोगों को दिलवाया गया। झारखंड में बिना हिसाब की डुप्लीकेट होलोग्राम लगी देशी शराब की बिक्री की गई। विदेशी शराब की सप्लाई का काम अपने करीबी एजेंसी को दिलाया गया। इसके बाद उन कंपनियों से करोड़ों रुपये का अवैध कमीशन लिया गया। इससे करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की गई।

जानकारी के अनुसार झारखंड के आईएएस अधिकारी और तत्कालीन आबकारी सचिव विनय कुमार चौबे, वहां के संयुक्त आबकारी आयुक्त गजेंद्र सिंह, झारखंड के पूर्व वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव के पुत्र रोहित उरांव सहित अन्य को छत्तीसगढ़ की ईओडब्ल्यू द्वारा समंस प्रेषित कर अभियोजन की स्वीकृति मांगी गई थी लेकिन इस पर ईओडब्ल्यू के पत्र का न तो कोई जवाब मिला और न ही कोई अनुमति दी गई।