सच्चे प्रेम और संबंधों में ईश्वर का होना अनिवार्य: किशोरी जी

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हुटुप गौशाला धाम में श्रीराम कथा के पांचवे दिन श्री सीताराम विवाह का मार्मिक वर्णन

Eksandeshlive Desk

रांची: हुटुप गौशाला धाम में चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा के पांचवे दिन सुप्रसिद्ध कथा वाचक सुश्री संगीता किशोरी जी ने श्री सीताराम विवाह पर बेहद सुंदर और विस्तृत कथा का वाचन किया। उनके शब्दों में वह शक्ति थी, जो श्रोताओं को श्रीराम के आदर्शों और उनके जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं से जोड़ रही थी। सुश्री संगीता किशोरी जी ने श्रीराम और सीता के विवाह के महत्व को बहुत ही सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया। उन्होंने सबसे पहले विवाह से पहले के घटनाक्रम को विस्तार से समझाया, जिसमें श्रीराम के पिता महाराज दशरथ द्वारा श्रीराम को 14 वर्षों का वनवास देना और फिर सीता के स्वयंवर में श्रीराम का भाग्य और पराक्रम उजागर होना शामिल था। कथा में बताया गया कि जब भगवान श्रीराम ने शिव धनुष तोड़ा और सीता जी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया, तब यह संयोग देवताओं द्वारा निर्धारित किया गया था। कथा वाचन में सुश्री किशोरी जी ने विवाह के दृश्य को भी बहुत ही भावुकता और गरिमा के साथ प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि श्रीराम और सीता का विवाह केवल एक पारंपरिक विवाह नहीं था, बल्कि यह धर्म, आदर्श, और संस्कारों का प्रतीक था। इस विवाह के माध्यम से भगवान श्रीराम ने यह संदेश दिया कि सच्चे प्रेम और संबंधों में ईश्वर का होना अनिवार्य है। कथा के दौरान दर्शकों ने यह महसूस किया कि श्रीराम और सीता का मिलन न केवल एक व्यक्तिगत संबंध था, बल्कि यह सम्पूर्ण मानवता के लिए आदर्श था। दोनों ने अपने जीवन के प्रत्येक क्षण को धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने के रूप में बिताया। सुश्री संगीता किशोरी जी ने यह भी कहा कि भगवान राम ने अपने विवाह के समय जिस प्रकार से मर्यादा और जिम्मेदारी का पालन किया, वही जीवन का सर्वोत्तम तरीका है।इस कथा में उन्होंने विवाह के बाद के राम-सीता के जीवन के प्रारंभ को भी दर्शाया, जिसमें भगवान श्रीराम और माता सीता का आदर्श प्रेम और भक्ति का परिचय मिला। इस आयोजन में उपस्थित श्रोताओं ने भगवान श्रीराम के जीवन से जीवन के हर पहलू को अपनाने की प्रेरणा ली। कथा के बाद महाआरती और प्रसाद वितरण का आयोजन भी हुआ, जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया। इस विशेष दिन की कथा में हजारों भक्तों ने भाग लिया और श्रीराम के जीवन के इस महत्वपूर्ण अध्याय से सीख ली, जो आज भी समाज में अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करती है। कथा में श्री सीताराम के विवाह की जीवंत झांकियां देखकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गये। बारिश होने के बावजूद पांचवें दिन भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी, कार्यक्रम के मीडिया प्रभारी संजय सर्राफ ने बताया कि इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजक वासुदेव भाला एवं मुकेश काबरा, काशी प्रसाद कनोई, संजय गोयल, अशोक सोढ़ानी, पवन शर्मा, मनोज बजाज, प्रमोद सारस्वत, विजय काबरा, महेश्वर सिंह के अलावे बड़ी संख्या में ग्रामीण क्षेत्रो से आये पुरुष व महिलाएं उपस्थित थे। श्री राम कथा में 22 मार्च को छठे दिन वन गमन एवं केवट प्रसंग पर कथा होगी।