Eksandeshlive Desk
डोमचांच: प्रखंड क्षेत्र में भी दुर्गा पूजा की तैयारी शुरू हो गई है। विभिन्न जगह लगने वाले प्रतिमा व पूजा पंडाल निर्माण कार्य के साथ ही माता की मंदिरों को साफ सफाई व रंगाई पुताई का कार्य युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया गया है। राक्षसी शक्तियों पर दैविक शक्तियों के विजय का यह त्योहार पूरे प्रखंड क्षेत्र में धूमधाम से मनाया जाता है।15 सितंबर को शुरू होने वाले नवरात्र के अब बस कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। पूजा समितियों द्वारा पूजा-पंडाल निर्माण की तैयारी शुरू है। बाहर से आये कारीगरों द्वारा अभी से ही बांस-बल्लों से पंडाल व मुख्य द्वार का नक्शा बन रहा है।इधर शिवसागर कैंप में लगने वाली दुर्गा पूजा की तैयारी जोरों पर है।शिवसागर में लगने वाले दुर्गा पूजा में रावण दहन कार्यक्रम आकर्षण का केंद्र रहता है।जिसके लेकर समिति के लोग तैयारियों में जुटे है।शिवसागर कैंप में 1917 से बंगाली विधि-विधान से मां दुर्गा की प्रतिमा लगाकर पूजा-अर्चना किया जाता है।लगभग 100 साल से अधिक समय से मां दुर्गा की पूजा भक्तिभाव से होते चली आ रही है। बताया जाता है अंग्रेजों के जमाने के पूर्व से यहां पूजा हो रही है। जब यहां सीएमआई कंपनी थी,तो उसमें कार्यरत वर्द्धमान के बंगाली परिवार ने बंगाली विधि-विधान से मां दुर्गा की प्रतिमा लगाकर पूजा-अर्चना की शुरुआत हुई थी। तभी से आज तक शिवसागर को डोमचांच का ऐतिहासिक पूजा स्थल माना जाता है।शिवसागर कैंप में बर्द्धमान निवासी अभय चक्रवर्ती ने सबसे पहले यहां मां दुर्गा की पूजा शुरू की थी।वर्तमान पुरोहित अभय चक्रवर्ती के वंशज वर्द्धमान से आकर पूजा में शामिल होते हैं।यहां पर विभिन्न गांवों के लोग पूजा में शामिल होते हैं,जिसमें मधुबन,एकडरवा,घरबरियाबार बेलाटांड, मसनोडीह, बेहराडीह, दुरोडीह, तेतरियाडीह, महथाडीह, शिवसागर, नावाडीह सहित दर्जनों गांव के लोग यहां पर मां दुर्गा का पूजा व दर्शन करने पहुंचते हैं। शिवसागर में दुर्गा पूजा के अवसर पर रावण दहन आकर्षण का केंद्र रहता है। पूरे डोमचांच के लोग हजारों की संख्या में पहुंचकर रावण दहन के दिन मेले का भरपूर आनंद उठाते थे। यहा पूजा को सफल बनाने में वार्ड पार्षद अनिल यादव, राजद नेता प्रदीप यादव, सुब्रत मुखर्जी, सोनू कुमार, दिवाकर बनर्जी, मनोज कुमार, अनिल कुमार, संजय कुमार, गुड्डू कुमार आदि पूजा में सहयोग करते आ रहे हैं। सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति शिवसागर के अध्यक्ष डॉ. संदीप घोष ने बताया कि लगभग 30-40 वर्षों से यहां पर पूजा हमारी देखरेख में की जा रही है। इसके पूर्व तारा शंकर बनर्जी की देखरेख में हुआ करता था। सबसे पहले यहां पूजा अभय चक्रवर्ती द्वारा की जाती थी, जो बर्द्धमान के निवासी थे। आज उन्हीं के वंशजों द्वारा मां की पूजा होती है। आज भी अभय चक्रवर्ती के वंशज बर्द्धमान से यंहा आकर पूजा में शामिल होते हैं।