Ashutosh Jha
काठमांडू : देशभर फैले सहकारी तथा वित्तीय संस्थाओं में आम जनता की मेहनत की कमाई डूबने के खिलाफ न्याय की मांग को लेकर शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलनरत पीड़ितों पर सरकार द्वारा दमनकारी रवैया अपनाए जाने का आरोप लगाया गया है। सहकारी तथा वित्तीय समस्या समाधान संयुक्त राष्ट्रीय अभियान (महासंघ) की केंद्रीय समिति द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, आंदोलनकारियों ने न्याय के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपने के बाद २७ चैत्र को देशभर १५ स्थानों पर मशाल जुलूस निकाले थे। लेकिन उक्त शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान काठमांडू के नयाँ बसपार्क से देव श्रेष्ठ सहित १३ और माइतीघर मण्डला क्षेत्र से ११ प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। विज्ञप्ति में आरोप लगाया गया है कि गिरफ्तार किए गए प्रदर्शनकारियों को रातभर हिरासत में रखकर अमानवीय व्यवहार किया गया, जो कि मानव अधिकारों का घोर उल्लंघन है।
महासंघ ने सरकार के समक्ष तीन प्रमुख मांगें रखी हैं: सभी गिरफ्तार पीड़ितों को बिना शर्त तुरंत रिहा किया जाए। शांतिपूर्ण आंदोलन का दमन न कर वार्ता के माध्यम से समाधान खोजा जाए। सरकार पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए स्पष्ट कार्ययोजना सार्वजनिक करे। इसके साथ ही महासंघ ने चेतावनी दी है कि यदि इन मांगों को शीघ्र पूरा नहीं किया गया, तो आंदोलन को और अधिक उग्र रूप दिया जाएगा और देशभर व्यापक जनप्रदर्शन किया जाएगा, जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी सरकार और संबंधित निकायों की होगी। विज्ञप्ति के अंत में महासंघ ने स्पष्ट किया है कि वे पूर्व में सरकार से हुए समझौतों के ईमानदारीपूर्वक कार्यान्वयन के पक्षधर हैं, लेकिन आत्मसम्मान और न्याय के बिना नहीं।