शराब घोटाला : एसीबी कोर्ट ने विनय चौबे और गजेंद्र सिंह को भेजा जेल, दो दिन की रिमांड के बाद हुई थी पेशी

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Eksandeshlive Desk

रांची : शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार झारखंड के सीनियर निलंबित आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे और तत्कालीन उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह को दोबारा जेल भेज दिया गया है। शनिवार को दो दिन की रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के विशेष न्यायाधीश योगेश कुमार सिंह की अदालत में दोनों को पेश किया गया, जहां से उन्हें दोबारा न्यायिक हिरासत में भेजने का फैसला सुनाया गया। अदालत के आदेश पर दोनों को रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार भेज दिया गया है।

एसीबी अदालत ने दोनों आईएएस अधिकारियों को दो दिन की रिमांड दी थी, लेकिन विनय चौबे के खराब स्वास्थ्य कारणों की वजह से उनसे केवल एक दिन ही पूछताछ हो पाई। विनय चौबे पूछताछ के दौरान तबीयत ठीक नहीं होने की बात कह अधिकांश सवालों के जवाब टाल दिए। एसीबी की टीम ने उनसे पूछा कि प्लेसमेंट एजेंसियों के चयन का आधार क्या था? जब कंपनियों ने बकाया जमा नहीं कराया, तो उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई? बैंक गारंटी की जांच में अनियमित्ता क्यों बरती गई? इसके साथ ही उत्पाद सचिव के तौर पर उनकी भूमिका कैसी थी? हालांकि, विनय कुमार चौबे इस मामले में अपनी सीधी संलिप्तता से इनकार करते रहे हैं। वहीं, संयुक्त उत्पाद आयुक्त रहे गजेंद्र सिंह से एसीबी ने दो दिनों तक पूछताछ की। एसीबी को पूछताछ में गजेंद्र सिंह ने उत्पाद विभाग की भूमिका और झारखंड राज्य पेय पदार्थ निगम (जेएसबीसीएल) के कार्यों की जानकारी दी है। गजेंद्र सिंह ने एजेंसियों के चयन और उनके बैंक गारंटी से जुड़े मामलों में अपनी भूमिका होने से इनकार किया। उन्होंने पूछताछ में एसीबी को बताया कि जेएसबीसीएल के अधीन सारी प्लेसमेंट एजेंसियां काम करती हैं। इसका सीधे उनके कामकाज से कोई लेना देना नहीं था। गजेंद्र सिंह ने पूछताछ में अपनी संलिप्तता से सीधे तौर पर इनकार किया।

उल्लेखनीय है कि शराब घोटाला मामले में एसीबी ने 20 मई को विनय चौबे ओर गजेन्द्र सिंह को गिरफ्तार किया था। दोनों को 38 करोड़ रुपये से अधिक के शराब घोटाले में गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि दो कंपनियों द्वारा फर्जी बैंक गारंटी देने के कारण सरकार को 38 करोड़ रुपए से अधिक के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा है। छत्तीसगढ़ में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद रांची एसीबी ने भी मामले में वर्ष 2024 में प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की थी। आरोप सही पाये जाने पर घोटाले को लेकर कांड संख्या-9/2025 के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।