Eksandeshlive Desk
रांची : संस्कृत भारती रांची और स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग रांची विश्वविद्यालय रांची के संयुक्त तत्वावधान में एकल गीत और समूह गीत प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता का शुभारंभ दीपप्रज्ज्वलन और वैदिक मंगलाचरण के साथ हुआ। इस कार्यक्रम में स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग डा. श्यामा-प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय रांची , मारवाड़ी महाविद्यालय, महिला महाविद्यालय तथा स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग रांची विश्वविद्यालय रांची के प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। समूह की प्रतियोगिता में प्रज्ञा पाठक के समूह ने प्रथम अनामिका आदि के समूह ने द्वितीय सुरेंद्र आदि के समूह ने तृतीय तथा गरिमा आदि के समूह ने चतुर्थ स्थान तथा चंदन आदि के समूह ने पंचम स्थान प्राप्त किया। एकल गीत स्पर्धा में विकास कुमार ने प्रथम सर्वोत्तम कुमारी ने द्वितीय तथा अनामिका भारती और लक्ष्मी कुमारी ने संयुक्त रूप से तृतीय स्थान प्राप्त किया। जय रानी को चतुर्थ तथा प्रज्ञा पाठक को पंचम स्थान प्राप्त हुआ। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मानविकी संकाय की अध्यक्ष प्रो. अर्चना कुमारी दुबे ने कहा की संस्कृत के ग्रंथ विश्व अनुसंधान के केंद्र बने हुए हैं। आज संस्कृत रोजगार के लिए भी सबसे उपयुक्त भाषा बन गई है। संस्कृत भाषा की प्रमाणिकता का प्रमुख आधार पाणिनीय व्याकरण है संस्कृत भाषा जितनी ही प्राचीन है उतनी ही वैज्ञानिक तथा उससे भी कहीं अधिक सरल भी है। डॉ प्रकाश सिंह ने कहा कि ज्ञान विज्ञान के विविध क्षेत्रों में यथार्थ अध्ययन के लिए चरक, सुश्रुत, आर्यभट्ट जैसे विद्वानों के पवित्र एवं प्रसिद्ध ग्रन्थों का अध्ययन आवश्यक हो जाता है। हम सभी को मिलकर यह प्रयास करना चाहिए कि रांची भी संस्कृत नगर बने। निर्णायक की भूमिका करते हुए डॉ भारती द्विवेदी ने कहा कि बच्चों के द्वारा प्रस्तुत “सुरस सुबोधा विश्व मनोज्ञा” “कालिदासो जने-जने” “मम माता देवता” जैसी सुमधुर गीतों से वातावरण संस्कृतमय हो गया। भारतीय स्थापत्य कला आज भी अनुकरणीय है। निर्णायक डा. राहुल कुमार ने सभी प्रतिभागियों को शुभकामना देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि यह युवा पीढी संस्कृत के संवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी। डा. श्रीमित्रा ने कहा कि आने वाला समय संस्कृत और संस्कृत के लोगों का ही होगा। कार्यक्रम का कुशल संचालन डा. जगदम्बा प्रसाद तथा धन्यवाद ज्ञापन मनीषा बोदरा के द्वारा किया गया। इस अवसर पर डा. एस. के. घोषाल, कुमारी जया , प्रवीण कुमार, मुरारी मण्डल, रिषभ मिश्र, सुरेन्द्र, आयूष, आदि की उपस्थिति रही।