झारखंड की राजधानी रांची में बीते कल यानी 10 जून को राज्य समन्वय समिति की बैठक हुई. झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की अध्यक्षता में यह बैठक संपन्न हुई. बैठक में राज्य के कल्याण हेतु 12 प्रमुख एजेंडों पर चर्चा हुई. इस बैठक में राज्य सरकार द्वारा विधानसभा से पारित कराए गए 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता संबंधित विधेयक, ओबीसी आरक्षण बढ़ाने संबंधित विधेयक सहित राज्यपाल द्वारा लौटाए गए सभी विधेयकों पर पुनर्विचार कर उसे फिर से राज्यपाल को भेजने की अनुशंसा की गई।
इस बैठक में राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम,श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता,कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की, विधायक सरफराज आलम, फागु बेसरा, विनोद पांडे और योगेंद्र महतो भी शामिल हुए.
बैठक में सरना धर्म कोड को लागू करने पर विचार किया गया. सदस्यों द्वारा यह फैसला लिया गया कि सरना धर्म कोड को लागू करने के लिए केंद्र सरकार से दोबारा आग्रह किया जाएगा. इस मुद्दे पर राष्ट्रपति से भी मिलने के लिए समय की मांग की जाएगी.
इस बैठक में राज्य के ओबीसी आरक्षण को लेकर भी चर्चा हुई. फैसला लिया गया कि सरकार एक बार फिर ओबीसी, एससी और एसटी के आरक्षण को बढ़ाने का प्रस्ताव विधानसभा से पारित करा कर राजभवन भेजे, इसका आग्रह सरकार से किया जाएगा.
वहीं मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि राज्य में मॉब लिंचिंग कानून की जरूरत को देखते हुए इस पर विशेष चर्चा हुई. मॉब लिंचिंग के मामले पर फैसला लिया गया कि कुछ संशोधनों के साथ फिर से विधानसभा से पारित करा कर विधेयक दोबारा राज्यपाल को भेजा जाएगा ताकि यह कानून का रूप ले सके.
इसी तरह जमीन की रसीद और राजस्व को लेकर भी बैठक में चर्चा हुई है. खासमहल की जमीन पर वर्षों से बसे लोगों को उस जमीन का मालिकाना हक लोगों को मिले, इसके लिए एक विशेष नीति बनाने का आग्रह झारखंड सरकार से किया जाएगा. बता दें खासमहल भूमि सरकारी भूमि की एक श्रेणी है जहां स्वामित्व सरकार के पास रहता है और विभिन्न उद्देश्यों के लिए व्यक्तियों को पट्टे पर दिए जाते हैं .
वहीं राज्य को ऊर्जा के क्षेत्र में कैसे स्वावलंबी बनाया जाए इसको लेकर समन्वय समिति की बैठक में खास चर्चा की गई.
साथ ही बैठक में इस बात पर भी चिंता जतायी गई कि सरकार द्वारा निजी संस्थानों में स्थानीय लोगों को 75 फीसदी आरक्षण देने का फैसला सही से लागू नहीं हो पा रहा है. ऐसे में समन्वय समिति सरकार से यह आग्रह करेगी कि वह पूरी गंभीरता से इस नीति को राज्य में लागू कराए.
बैठक में सबसे जरुरी चर्चा का विषय रहा खतियान आधारित नियोजन नीति और स्थानीय नीति और युवाओं के रोजगार का मामला.
बता दें कि राज्य के छात्र वर्तमान सरकार की नियोजन नीति से काफी नाराज है और इसके विरोध में 10 और 11 जून को झारखंड बंद भी कराया गया है.
समन्वय बैठक को लेकर झारखंड बीजेपी ने राज्य सरकार पर निशाना साधा, बीजेपी ने कहा- इस बैठक ने राज्य की सवा तीन करोड़ जनता की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है.
वहीं प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने भी इस बैठक को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है. दीपक प्रकाश ने कहा कि – बैठक मात्र एक औपचारिकता बनकर रह गई. राज्य के कई गंभीर मुद्दों को इस बैठक में शामिल ही नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि बैठक में भ्रष्टाचार, महिला उत्पीड़न, जमीन घोटाला जैसी कई गंभीर विषयों पर बातचीत होनी चाहिए थी, लेकिन बात नहीं हुई.
इस पर झामुमो ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा को इस पर चिंता करने की जरुरत नहीं है.
बता दें कि समन्वय समिति का गठन एक साल पहले ही कर दिया गया था उस वक्त ये भी निर्णय लिया गया था कि इस समिति की बैठक हर महिने की जाएगी, लेकिन अब एक साल बाद इस समिति की पहली बैठक बुलाई गई.
समिति का गठन खास उद्देश्य से किया गया था. समिति गठन का उद्देश्य था कि राज्य के पिछड़े क्षेत्रों में आर्थिक विकास की गति को तीव्र करने और संबंधी योजनाओं पर सम्यक विचार कर राज्य सरकार को समय-समय पर परामर्श देगी.