नेपाल : सत्तारूढ़ गठबंधन में खिंचाव, पांच विधेयकों को लेकर कांग्रेस-यूएमएल में गहरा टकराव

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Ashutosh Jha

काठमांडू : नेपाल की संसद में विचाराधीन पांच प्रमुख विधेयकों को लेकर सत्ता साझेदार दल नेपाली कांग्रेस और नेकपा (यूएमएल) के बीच तीव्र मतभेद सामने आए हैं। यह विवाद केवल संसदीय समिति या सदन तक सीमित न रहकर राजनीतिक संयंत्र और सोशल मीडिया तक फैल गया है। दोनों दल एक-दूसरे की नीयत पर सवाल उठाते हुए आरोप-प्रत्यारोप में उलझे हुए हैं। सबसे अधिक विवाद भूमि विधेयक और विद्यालय शिक्षा विधेयक को लेकर है। यूएमएल ने कांग्रेस पर इन विधेयकों को जानबूझकर बाधित करने का आरोप लगाया है, वहीं कांग्रेस का कहना है कि यूएमएल इन संवेदनशील मुद्दों को अवांछित तरीके से जल्दबाज़ी में पास करवाना चाहती है। कांग्रेस ने भूमि विधेयक में जमीन की बिक्री सीमा (हदबन्दी), अव्यवस्थित बासिंदों को जमीन बाँटने, वन और निकुञ्ज की जमीन के दुरुपयोग तथा सरकार द्वारा अपने अनुसार कार्यविधि बनाने जैसी प्रावधानों पर गहरी आपत्ति जताई है। यूएमएल का आरोप है कि कांग्रेस इस विधेयक पर सहमति देने के बाद अब पीछे हट रही है, जबकि कांग्रेस नेता गगन थापा स्वयं पहले की अध्यादेश प्रक्रिया में शामिल थे। वहीं कांग्रेस नेताओं का कहना है कि विधेयक जनहित से जुड़ा है, इसलिए विस्तृत चर्चा के बिना पारित नहीं किया जाना चाहिए। शिक्षा विधेयक उपसमिति से सर्वसम्मति से पास हुआ था, लेकिन अंतिम समय में कांग्रेस प्रमुख सचेतक श्याम घिमिरे ने इसे रोक दिया। विवाद अस्थायी शिक्षकों की पदपूर्ति और कार्यप्रदर्शन मूल्यांकन के अंकों को लेकर है। शिक्षक महासंघ की मांग पर कांग्रेस पीछे हटी, जिससे यह विधेयक भी ठप हो गया।शिक्षा विधेयक उपसमिति से सर्वसम्मति से पास हुआ था, लेकिन अंतिम समय में कांग्रेस प्रमुख सचेतक श्याम घिमिरे ने इसे रोक दिया। विवाद अस्थायी शिक्षकों की पदपूर्ति और कार्यप्रदर्शन मूल्यांकन के अंकों को लेकर है। शिक्षक महासंघ की मांग पर कांग्रेस पीछे हटी, जिससे यह विधेयक भी ठप हो गया।

निजामती, संवैधानिक परिषद् और अख्तियार विधेयक में भी गहराया मतभेद : निजामती विधेयक: इसमें अवकाशप्राप्त अधिकारियों के लिए ‘कूलिंग पीरियड’ हटाने के यूएमएल के संशोधन पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई है और गठबंधन में दरार की चेतावनी दी है। संवैधानिक परिषद् विधेयक: प्रतिनिधि सभा और राष्ट्रिय सभा के बीच मतभेद के चलते यह विधेयक भी विवादों में है। राष्ट्रपति द्वारा पुनर्विचार के लिए विधेयक लौटाने पर यूएमएल ने असहमति जताई है, जबकि कांग्रेस ने राष्ट्रपति के कदम का समर्थन किया है। अख्तियार विधेयक: प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली द्वारा ‘नीतिगत भ्रष्टाचार’ की परिभाषा पर असहमति जताने के बाद यह विधेयक राज्य व्यवस्था समिति में पिछले 6 महीने से अटका हुआ है। इन विधेयकों पर गहराती खटास ने सत्ता गठबंधन के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस–यूएमएल के बीच बढ़ता अविश्वास केवल नीतिगत मतभेद नहीं, बल्कि आपसी राजनीतिक रणनीतियों के टकराव का भी संकेत देता है।वर्तमान परिदृश्य में भूमि और शिक्षा विधेयकों पर सहमति बनना मुश्किल दिख रहा है। जबकि कांग्रेस इन विधेयकों को अधिकतम सहमति से पारित करने की बात कर रही है, वहीं यूएमएल इसे “दोहरे चरित्र” की राजनीति कह रही है। अब यह देखना शेष है कि आगामी हफ्तों में इन विधेयकों पर कोई साझा निर्णय निकलता है या गठबंधन की दरार और गहरी होती है।