सुदिव्य कुमार : जिला प्रमुख से झारखंड सरकार में मंत्री बनने का सफर

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Eksandeshlive Desk

गिरिडीह : झारखंड में हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के छह दिन बाद गुरुवार को राजभवन के अशोक उद्यान में 11 मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी गयी। राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने शपथ दिलायी। मंत्रिपरिषद में गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार भी शामिल हैं।

और गुरुजी युवा सुदिव्य कुमार के आदर्श हो गये

झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के कद्दावर नेता सुदिव्य कुमार पार्टी संगठन की पहचान एक मुखर विधायक के तौर पर बनी है। अपने भाई-बहनों में सबसे छोटे 54 वर्षीय सुदिव्य कुमार का सियासत से कभी खानदानी लगाव नहीं रहा, अपितु एक वाक्या ऐसा हुआ, जिससे इनके अन्तर्मन ने सार्वजनिक जीवन की राह पकड़ने के लिए विवश कर दिया। दरअसल 1989 में इनकी मुलाकात पृथक राज्य आंदोलन की अगुवाई करने वाले झारखंड के दिशोम गुरु जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन से हुई। उन्होंने युवा सुदिव्य कुमार का परिचय जाना। कहते हैं कि कुछ मिनटों की मुलाकात में झारखंडी लोगों के लिए अपना जीवन खपाने वाले गुरुजी की अनुभवी आंखों ने एकयुवा की कर्मठता को पढ़ लिया। गुरुजी ने युवा सुदिव्य कुमार के कंधे पर हाथ रखकर उज्जवल भविष्य का आशीष दिया और इसके साथ गुरुजी युवा सुदिव्य कुमार के आदर्श हो गये।

शुरुआती दौर में पृथक झारखंड आंदोलन से जुड़े

शुरुआती दौर में सुदिव्य कुमार पृथक झारखंड आंदोलन से जुड़े। नब्बे के दशक में जेएमएम के बैनर तले सक्रिय राजनीति में कदम रखा। पृथक राज्य गठन के पश्चात गिरिडीह जिला प्रमुख बने। इस दौरान अपनी कुसलता से जिले में न सिर्फ पार्टी संगठन का विस्तार किया, साथ ही संगठन को जरूरी संसाधनों से जोड़कर धारदार बनाने का काम किया। पार्टी आलाकमान ने संगठन दल के प्रति निष्ठा और प्रतिबद्धता के मद्देनजर वर्ष 2009 में गिरिडीह सदर सीट से टिकट दिया। सफलता नहीं मिली। फिर पुनः 2014 में टिकट दिया, जहां आंशिक मतों से पराजय हुई। दस वर्षों की मेहनत और जन जुड़ाव के बाद 2019 में सफलता मिली और पहली बार विधानसभा पहुंचे। इसके बाद से ही 2024 का लक्ष्य हासिल करने की रणनीति के तहत जनमानस के दिलों में अपनी विशेष जगह बनाने में जूट गये। इसके फलस्वरूप पुनः 2024 में जनता के आशीर्वाद से विधानसभा पहुंचे।