स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने को लेकर ईस्ट टेक का आयोजन 17 सितंबर से : सेठ

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Eksandeshlive Desk

रांची : भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने और क्षेत्रीय औद्योगिक भागीदारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शनिवार को रांची में ईस्ट टेक-2025 (ईस्टर्न टेक्नोलॉजी कॉन्क्लेव) के बाबत रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह टेक 17 से सितंबर से किया जाएगा। रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ आज बरयातू रोड स्थित एक होटल में प्रेस कांफेंस में औपचारिक रूप से घोषणा किया कि ईस्ट टेक का आयोजन रांची में 17 से 19 सितंबर तक किया जाएगा। यह सम्मेलन भारतीय सेना के पूर्वी कमान मुख्यालय और सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम) के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने भारत सरकार की आत्मनिर्भर भारत के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को विशेषकर रक्षा निर्माण और नवाचार के क्षेत्र में रेखांकित किया। उन्होंने भारतीय सेना की पूर्वी कमान की इस पहल की सराहना की और कहा कि ईस्ट टेक के आयोजन से औद्योगिक अवसंरचना, कुशल जनशक्ति और खनिज संसाधनों की अपार संभावनाओं का लाभ मिलेगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ईस्ट टेक सैन्य-नागरिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक उत्प्रेरक की भूमिका निभाएगा और इसका रांची में आयोजन पूर्वी भारत के देश की समग्र रक्षा तैयारी में बढ़ते महत्व को दर्शाता है। उन्होंने यह घोषणा की कि पूर्वी कमान, एसआईडीएम के सहयोग से, जल्द ही समस्या परिभाषा विवरण का एक व्यापक सेट जारी करेगी, जो सेना की मौजूदा और उभरती परिचालन आवश्यकताओं को रेखांकित करेगा। इनमें निगरानी, गतिशीलता, संचार, साइबर रक्षा और बल के माध्यम से उपलब्ध कराए जाएंगे ताकि विक्रेता अपनी समाधान प्रस्तावना को वास्तविक सन्नाय सुरक्षा जैसे क्षेत्रों को शामिल कर सकेगा। उद्योग हितधारकों को लेकर एक वेबिनार की सैन्य आवश्यकताओं के अनुरूप कर सकें। उन्होंने बताया कि यह वेबिनार ईस्ट टेक में पंजीकरण भागीदारी के लिए एक लॉन्चपैड के रूप में कार्य करेगा और परीक्षण और मूल्यांकन समर्थन के मार्ग खोलेगा। ईस्ट टेक में 200 से अधिक रक्षा और प्रौद्योगिकी विक्रेताओं के भाग लेने की संभावना है। इसमें 50 से अधिक एमएसएमई और स्टार्ट-अप्स शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि इसके अलावा डीआरडीओ, डीपीएसयूएस और प्रमुख निजी उद्योग भी भाग लेंगे। इस कार्यक्रम में उपकरणों का लाइव प्रदर्शन, उत्पाद प्रदर्शनी और तकनीकी ब्रीफिंग आयोजित की जाएंगी, जिससे सहयोगात्मक विकास का माहौल तैयार होगा। इस पहल का उद्देश्य पूर्वी भारत को रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र का एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में स्थापित करना भी है। इससे राज्य को भविष्य में औपचारिक रक्षा औद्योगिक गलियारे में शामिल करने का मार्ग प्रशस्त होगा।