संसद में सेंगोल की स्थापना, क्या Modi के हिंदू राष्ट्र की तरफ बढ़ता एक और कदम?

गत 23 मई (2023) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के नए भवन का उद्घाटन किया. यह भवन पुराने भवन की तुलना में कहीं अधिक ठाठदार है. विपक्ष की अधिकांश पार्टियों ने उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार किया. उनका तर्क था कि इस भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को करना था. संविधान के अनुच्छेद 79 के अनुसार संसद में राष्ट्रपति, लोकसभा और राज्यसभा शामिल हैं. इस प्रकार, राष्ट्रपति, संसद का हिस्सा होते हैं. उन्हें इस समारोह से बाहर रखना हर चीज़ के केंद्र में स्वयं को रखने की मोदी की प्रवृत्ति का सूचक है.

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नया भारत भगवा, खंडित, असहिष्णु नहीं होगा : कपिल सिब्बल

बीते कल यानी 28 मई को देश में नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के हाथों से किया गया. संसद के उद्घाटन को लेकर देश में पक्ष-विपक्ष में घमासान मच गया. जहां एक ओर सत्ता दल के नेता खुश नजर आए वहीं विपक्ष के सभी नेता एक सुर में नए संसद भवन और इसका उद्घाटन पीएम के हाथों से किए जाने को लेकर खासा नाराज हुए. देश में इसे लेकर सियासत गर्म होती नजर आई.

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New Parliament Inauguration : PM Modi ने नए संसद भवन का किया उद्घाटन, सैंगोल किया स्थापित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन का उद्घाटन कर दिया है. इस उद्घाटन समारोह में कई विपक्षी दलों ने हिस्सा नहीं लेकर इस कार्यक्रम का बहिष्कार किया. बावजूद इसके उद्घाटन समारोह में भव्य आयोजन किया गया. वहीं, तमिलनाडु के अधीनम संतों ने पूरे विधि-विधान के साथ अनुष्ठान कराया.

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क्या नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से नहीं कराना भारतीय संविधान का अपमान?

इस समय संपूर्ण देश में इस बात पर बहस छिड़ी हुई है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन संविधान के प्रावधानों और परंपराओं के अनुकूल है या नहीं? सबसे पहली बात यह है कि संसद भवन अकेले लोकसभा का नहीं है.

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