Eksandeshlive Desk
हाथरस : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के ग्राम बूलगढ़ी में दुष्कर्म पीड़िता के परिवार से मुलाकात की। उन्होंने 45 मिनट तक पीड़िता के परिवार वालों से बातचीत की। राहुल गांधी के दौरे के मद्देनजर हाथरस में सुरक्षा व्यस्था और बढ़ा दी गयी थी।
राहुल गांधी ने हाथरस दौरे की योजना अचानक बनायी
कांग्रेस पदाधिकारियों ने बताया कि वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने हाथरस दौरे की यह योजना अचानक बनायी और सुबह 7 बजे दिल्ली से हाथरस के लिए निकले थे। उल्लेखनीय है कि 14 सितंबर 2020 को 19 वर्षीय लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना हुई थी। इसके बाद दिल्ली में इलाज के दौरान 29 सितंबर 2020 को उसकी मौत हो गई थी। पुलिस ने घरवालों की सहमति के बिना युवती का रात में ही अंतिम संस्कार कर दिया था। मामला देशभर में सुर्खियों में रहा। उप्र पुलिस की जांच पर सवाल खड़े हुए तो इसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। कांग्रेस नेता के हाथरस दौरे को लेकर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि राहुल गांधी हताश हैं। हाथरस मामले की जांच सीबीआई ने की है। मामला कोर्ट में चल रहा है। राहुल उत्तर प्रदेश को अराजकता और दंगों की आग में झोंकना चाहते हैं।
पीड़ित लड़की के भाई बोले, उनकी दो मांगें पूरी नहीं हुईं
पीड़ित लड़की के भाई ने बताया कि एसडीएम हाथरस नीरज शर्मा एक दिन पहले उनके घर की पैमाइश करने आए थे। अभी तक उनकी दो मांगें पूरी नहीं हुईं। पहली- हाथरस के बाहर एक घर, दूसरी परिवार के एक सदस्य को नौकरी। इस मामले की जानकारी राहुल गांधी को मिली है। इसी को लेकर वह हमसे मिलने आए थे। बात दें कि विगत जुलाई महीने में लड़की के पिता ने राहुल गांधी को चिट्ठी लिखी थी। इसमें कहा गया था कि सरकार ने जो वादे किए थे, उसे पूरे नहीं किए। परिवार सीआरपीएफ की कड़ी सुरक्षा में कैद है। न कोई रोजगार है। न ही रोजगार के लिए कोई बाहर जा पा रहा है। घर में तीन बेटियां हैं, उनकी पढ़ाई-लिखाई तक नहीं हो पा रही। परिवार की मानसिक स्थिति बहुत खराब चल रही है। 14 सितंबर, 2020 को हुई घटना बहुत ही भयानक थी, जिसमें मेरी बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ। उसकी रीढ़ की हड्डी तोड़ दी गई थी। जीभ काट दी गई। मेरी परमिशन के बिना प्रशासन ने रात में बेटी के शव को जला दिया। आज तक मुझे और मेरे परिवार को यह तक नहीं पता है कि बॉडी किसकी जलाई गई थी। इस केस की सीबीआई जांच हुई थी। इसमें चारों आरोपित दोषी थे। मरने से पहले बेटी ने चारों आरोपितों का नाम बताया था। घटना के बाद बेटी का मेडिकल नहीं कराया गया। सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में चारों को आरोपित बनाया था लेकिन ट्रायल कोर्ट ने 3 आरोपितों काे ही एससी-एसटी एक्ट में सजा सुनाई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परिवार को घर और एक सदस्य को नौकरी देने का लिखित आश्वासन दिया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने नौकरी और घर देने के संबंध में राज्य सरकार को आदेश दिया था, लेकिन आदेश का पालन अभी तक नहीं किया गया। इस मामले के तीन आरोपितों- रामू, लवकुश, रवि रिहा हुए। चौथा आरोपित संदीप गैर इरादतन हत्या का दोषी करार दिया गया। उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई। दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म का आरोप कोर्ट में साबित नहीं हो पाया।