उत्तराखंड में मूसलधार बारिश से जनजीवन प्रभावित, नदियों का जलस्तर खतरे के निशान के करीब

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Eksandeshlive Desk

देहरादून/शिमला : उत्तराखंड में लगातार हो रही मूसलधार बारिश के चलते जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। अलकनंदा, भागीरथी, सरयू, गोमती समेत तमाम प्रमुख नदियां अपने चेतावनी स्तर के बेहद करीब पहुंच गई हैं। राज्य के कई जिलों में आपदा की स्थिति बनती नजर आ रही है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, भागीरथी नदी का जलस्तर (तिलोथ पुल गेज) 1120.38 मीटर पर है, जबकि खतरे का स्तर 1123.00 मीटर है। अलकनंदा नदी 625.20 मीटर और मंदाकिनी नदी 624.15 मीटर के जलस्तर पर बह रही हैं, जो क्रमशः 626.00 मीटर और 625.00 मीटर के चेतावनी स्तर के बेहद करीब हैं। वहीं बीते 8 दिनों में राज्यभर में बारिश जनित घटनाओं में 34 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 74 से अधिक लोग घायल हुए हैं। रुद्रप्रयाग के आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि नदी किनारे रहने वाले लोगों को लाउडस्पीकर के माध्यम से चेतावनी दी जा रही है और सुरक्षित स्थानों पर जाने के निर्देश दिए जा रहे हैं। हरिद्वार, ऋषिकेश, देवप्रयाग, कीर्तिनगर जैसे नदी किनारे बसे क्षेत्रों में भी लोगों को सतर्क किया जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राज्य आपदा नियंत्रण कक्ष के माध्यम से जिलों के लगातार संपर्क में हैं। देहरादून और पहाड़ी क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण नदी-नालों का जलस्तर बढ़ने से ऋषिकेश में पुलिस ने गंगा घाटों पर स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को नदी किनारों से दूर रहने का अलर्ट जारी किया है। ऋषिकेश के नटराज चौक पर लाउड हेलरों के जरिए चारधाम यात्रियों को मार्ग अवरुद्ध होने की स्थिति में सुरक्षित स्थानों पर रुकने की सलाह दी जा रही है। पुलिस टीमें सभी थाना क्षेत्रों में नदी-नालों के किनारे भ्रमण कर रही हैं और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की चेतावनी दे रही हैं। संवेदनशील स्थानों से लोगों को सुरक्षा के लिए हटाया जा रहा है।

हिमाचल में मानसून का कहर, 8 दिनों में 34 लोगों की मौत, 74 जख्मी : हिमाचल प्रदेश में मानसून ने इस बार जून में ही विकराल रूप धारण कर लिया है। आमतौर पर जुलाई-अगस्त में तबाही मचाने वाला मानसून इस बार 20 जून को दस्तक के साथ ही कहर बरपा रहा है। बीते 8 दिनों में राज्यभर में बारिश जनित घटनाओं में 34 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 74 से अधिक लोग घायल हुए हैं। वहीं, 4 लोग अब भी लापता हैं। भारी तबाही के चलते राज्य में सरकारी व निजी संपत्ति को 71 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार 20 जून से 28 जून के बीच हुई घटनाओं में सबसे ज्यादा 17 लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हुई है। इसके अतिरिक्त फ्लैश फ्लड में 7, पानी के तेज बहाव में बहने से 4, पहाड़ी से फिसल कर गिरने से 2, बिजली का करंट लगने से 2, सांप के काटने से 1 और अन्य कारणों से 1 व्यक्ति की जान गई है। अकेले कांगड़ा जिले में फ्लैश फ्लड से 6 लोगों की जान गई है। इस अवधि में 38 मवेशियों की मौत, 6 मकानों के पूरी तरह ध्वस्त होने और 17 मकानों के आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त होने की सूचना है। इनमें सबसे ज्यादा नुकसान कुल्लू जिले में सामने आया, जहां 10 घर प्रभावित हुए। इसके अलावा 7 दुकानें, 9 पशुशालाएं और एक घराट भी पूरी तरह से तबाह हो गए हैं। प्राकृतिक आपदा से सरकारी विभागों को भी भारी नुकसान झेलना पड़ा है। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार जलशक्ति विभाग को 38.56 करोड़ और लोक निर्माण विभाग को 30.76 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इन आंकड़ों के अनुसार राज्य को अब तक कुल 71.19 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति क्षति का सामना करना पड़ा है। इस बीच प्रदेश में बारिश का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। मौसम विभाग ने राज्य में आगामी 5 जुलाई तक भारी बारिश का पूर्वानुमान जारी किया है। विशेष रूप से 29 और 30 जून को “ऑरेंज अलर्ट” जारी किया गया है। विभाग ने चेतावनी दी है कि लाहौल-स्पीति और किन्नौर को छोड़कर प्रदेश के अन्य 10 जिलों में अगले 24 घंटों में फ्लैश फ्लड की आशंका है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे नदी-नालों व पहाड़ी ढलानों से दूर रहें और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत प्रशासन से संपर्क करें। इस बीच राज्य सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग अलर्ट मोड पर हैं। जिलों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन की टीमें तैनात की गई हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे प्रभावित क्षेत्रों में तुरंत राहत व पुनर्वास कार्यों में तेजी लाएं और हर नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

उत्तरकाशी भूस्खलन हादसा: नाै में से दाे श्रमिकों के शव बरामद, सात अब भी लापता : उत्तरकाशी ज़िले के पालीगाड़ क्षेत्र में बादल फटने और भूस्खलन की बड़ी घटना के बाद मलबे में दबे नाै श्रमिकों में से अब तक दो के शव बरामद कर लिए गए हैं। सात श्रमिकों की तलाश अभी भी जारी है। उत्तरकाशी जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, पालीगाड़ से 4 किमी आगे सिलाई बैंड के पास अतिवृष्टि और बादल फटने के कारण निर्माणाधीन होटल के निकट बने शेड में रह रहे 29 श्रमिकों में से 20 का सुरक्षित रेस्क्यू किया गया। 9 लापता श्रमिकों में से दो के शव बरामद हुए हैं। घटना स्थल पर एसडीआरएफ की 15, एनडीआरएफ की 20 सदस्यीय टीम, 02 डॉग स्कॉड मय उपकरण, आईटीबीपी मातली की स्पेशल-22 सदस्यीय दल, स्वास्थ्य विभाग, राजस्व विभाग की संयुक्त टीम खोज एवं बचाव का कार्य में जुटी हैं। अपर जिलाधिकारी उत्तरकाशी, उप जिलाधिकारी, बड़कोट, तहसीलदार, बड़कोट द्वारा घटना स्थल पर खोज-बचाव कार्यों की निगरानी हेतु तैनात हैं। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर पालीगाड़, कुथनौर, झज्जरगाड़ स्थानों पर भी भीषण भूस्खलन हुआ है। इस घटना के बाद 400 मीटर विद्युत लाइन क्षतिग्रस्त होने से यमुनोत्री धाम सहित करीब 30 गांवों में बिजली आपूर्ति ठप हो गई है।