Eksandeshlive Desk
वाराणसी : उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है और शनिवार देर शाम से यह खतरे के निशान 71.262 मीटर को पार कर चुका है। रविवार सुबह 08 बजे गंगा का जलस्तर 71.56 मीटर रिकॉर्ड किया गया, जो खतरे के निशान से काफी ऊपर है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, जलस्तर में औसतन तीन सेंटीमीटर प्रति घंटे की दर से वृद्धि हो रही है। बीते 24 घंटे में जलस्तर में 69 सेंटीमीटर की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। गंगा के उफान के चलते सहायक नदी वरुणा भी रौद्र रूप में आ गई है, जिससे वाराणसी के तटवर्ती इलाकों में भारी जलभराव हो गया है। कई मोहल्लों और गांवों में कमर तक पानी भर गया है, जिससे जनजीवन ठहर-सा गया है। प्रभावित इलाकों के लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हैं और पलायन कर रहे हैं।
मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर शवदाह में संकट : बाढ़ के चलते मोक्षतीर्थ मणिकर्णिका घाट की गलियों तक पानी पहुंच गया है। सतुआ बाबा आश्रम के गेट तक जलभराव हो चुका है, जिससे शव के अंतिम संस्कार के लिए नावों का सहारा लेना पड़ रहा है। शवदाह प्रक्रिया में 4 से 5 घंटे तक का इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं, हरिश्चंद्र घाट की गलियों में ही शवों का दाह संस्कार किया जा रहा है, क्योंकि घाट पर जगह की कमी हो गई है। घाट के आसपास के कई मंदिर पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार की सीढ़ियों तक गंगा का पानी पहुंच चुका है। यहां अतिरिक्त सुरक्षा बल की तैनाती की गई है। दशाश्वमेध घाट स्थित जल पुलिस का कार्यालय पूरी तरह डूब गया है। वहीं, अस्सी घाट की सीढ़ियों को पार करते हुए गंगा का पानी गलियों में प्रवेश कर चुका है। नियमित होने वाली सायंकालीन गंगा आरती अब घाट पर न होकर गलियों में की जा रही है। गंगा और वरुणा नदियों की बाढ़ से तहसील सदर के रामपुर ढाब और शहर के 21 मोहल्ले गंभीर रूप से प्रभावित हैं। इनमें सलारपुर, सरैया, नक्खी घाट, दानियालपुर, कोनिया, ढेलवरिया, नगवां, सिकरौल, तपोवन, डोमरी आदि शामिल हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में 26 गांवों में जनजीवन और खेती-बाड़ी पूरी तरह प्रभावित है। प्रदेश सरकार के निर्देश पर वाराणसी जिला प्रशासन, एनडीआरएफ, जल पुलिस, नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। सभी विभागों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं हालात पर नजर बनाए हुए हैं।उधर, केंद्रीय जल आयोग ने आशंका जताई है कि वर्ष 1978 की भीषण बाढ़ का रिकॉर्ड इस बार टूट सकता है। मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड में हो रही भारी वर्षा तथा चंबल, बेतवा, केन नदियों के बांधों से छोड़े गए पानी के कारण स्थिति और विकट हो चली है।