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रांची: राज्य में जहां एक ओर शिक्षक दिवस पर सम्मान समारोह में जुडे हुए थे दूसरी ओर हजारों प्राथमिक और मध्य विद्यालय के शिक्षक अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतर नजर आए । अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ रांची इकाई के आह्वान पर निकले। इस जुलूस ने जिला शिक्षा अधीक्षक बादल राज के आदेश की प्रतियां जलाकर विरोध दर्ज किया। शिक्षको ने में कहा कि अफसरशाही तानाशाही नहीं चलेगी, शिक्षकों का अपमान बंद करो,शिक्षक एकता जिंदाबाद,वेतन वृद्धि के लिए शपथ पत्र का आदेश वापस लो के नारे के साथ शिक्षकों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि डीएसई रांची का आदेश न केवल अव्यावहारिक है बल्कि शिक्षकों को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने वाला भी है। संघ के आह्वान पर जिलाभर के शिक्षक सबसे पहले कचहरी स्थित शिक्षा परिसर पहुंचे।वहां उन्होंने भारत के पूर्व राष्ट्रपति और दार्शनिक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। इसके बाद सभी शिक्षक जुलूस की शक्ल में नागा बाबा खटाल के पास एकत्रित हुए और डीएसई द्वारा जारी आदेश की प्रतियां जलाकर विरोध जताया। जिला शिक्षा अधीक्षक ने शिक्षकों की वार्षिक वेतनवृद्धि के लिए प्रथम श्रेणी दंडाधिकारी से शपथ पत्र लेने का निर्देश जारी किया था। इसी आदेश को लेकर शिक्षकों में जबरदस्त नाराजगी ह। इसी के विरोध में उन्होंने शिक्षक दिवस के दिन अपना विरोध जताया और प्रदर्शन किया। संघ के नेताओं ने बताया कि हिंदी टिप्पण परीक्षा पास करने से शिक्षक पहले ही मुक्त हो चुके है। इसके बावजूद इस मुद्दे को आधार बनाकर रांची जिला के करीब तीन हजार शिक्षकों की जुलाई माह से वार्षिक वेतनवृद्धि रोक दी गई है. यही नहीं, शिक्षकों को मजिस्ट्रेट कार्यालय जाकर शपथ पत्र जमा करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। राज्य के अन्य 23 जिलों में जुलाई माह में ही शिक्षकों की वेतनवृद्धि दी जा चुकी है, लेकिन राजधानी रांची में शिक्षक इस अधिकार से वंचित हैं। नेताओं ने इसे अफसरशाही की मनमानी और तानाशाही करार दिया।
