Eksandeshlive Desk
रांची : आत्मनिर्भर भारत का मतलब ऐसा भारत बनाने से है, जहां देश को किसी भी छोटी-बड़ी वस्तु के लिए दूसरे देशों पर आश्रित न रहना पड़े। इस सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बनाए गए अर्थव्यवस्था, आधारभूत संरचना, प्रणाली, जनसांख्यिकी तथा मांग संबंधी” पांच मजबूत स्तंभ सरासर गलत हैं। ये बातें भारतीय हलधर किसान यूनियन के राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता और बिहार झारखंड प्रदेश प्रभारी डॉ. शैलेश कुमार गिरि ने एक संदेश से बातचीत में कहीं। उन्होंने अपनी वेदना व्यक्त करते हुए कहा कि मैं इस संदर्भ में ये कहूंगा कि भूखे भजन न होये गोपाला, ले लो अपनी कंठी माला। ऐसा मैं इसिलिए कह रहा हूं कि क्योंकि स्वस्थ्य शरीर में ही स्वस्थ्य मस्तिष्क बसता है और स्वस्थ्य मस्तिष्क के बिना प्रधानमंत्री मोदी पांचों मजबूत स्तंभ शून्य साबित होंगे।
डॉ. गिरी अपनी बातों को समझाते हुए कहते हैं कि हेल्थी माइंड के लिए हेल्थी फूड चाहिए। इसके लिए भूख जरूरी है और कृषि (अन्नदाता किसान), जिसे आप अनदेखा कर आत्मनिर्भर भारत बनाने का सपना साकार कर ही नहीं सकते। कृषि प्रधान देश भारत गांव, खलिहानों के गली कूचों में बसता है। कृषि और किसान ने वैश्विक महामारी कोरोना में पूरे भारत को “आत्म निर्भर” का मतलब बखूबी समझाया और मिशाल पेश कर अपने आप को डंके की चोट पर ये सिद्ध कर दिया कि वे ही भारत को संभाल सकते हैं। समृद्ध भारत बनाने के मजबूत स्तंभ में सबसे ऊपर कृषि और किसान को होना चाहिए था, लेकिन दुर्भाग्यूपर्ण है कि प्रधानमंत्री मोदी के समृद्ध भारत बनाने के मजबूत स्तंभों में कृषि और किसानों के लिए कोई स्थान का नहीं है। डॉ. गिरी कहते हैं कि हम कृषि प्रधान देश हैं और जब तक किसानों को प्राथमिकताओं में पहले स्थान पर रखकर हमारी मुख्य सभी मांगों को नहीं माना जाएगा तब तक भारत आत्म निर्भर नहीं बन सकता। यह विडंबना नहीं तो और क्या है कि जिस देश की 75 फीसदी आबादी किसान है वहां तरह-तरह के आयोग हैं, लेकिन “किसान आयोग” ही नहीं है। ऐसे में हम अपने देश को आत्मनिर्भर बनाने का सपना जो पाले बैठे हैं वह असंभव है। डॉ. गिरी अपनी बातों को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं कि दुनिया की सबसे बड़ी फैक्ट्री व कारखाना है भारत का कृषि क्षेत्र, जहां सबसे बड़ी संख्या में बड़े़ कठिन परिश्रम से किसान दिन, रात, जाड़ा, पाला, शीतलहर, कड़ाके गर्मी, आंधी और तूफान की परवाह किये बिना अनाज पैदा करते हैं। किसानों के लिए 8 घंटे या 12 घंटे ओवर टाइम नहीं होता। ऐसे किसान जब 60 की उम्र के होते हैं तो उनके लिए सरकार ने क्या व्यवस्था की है? क्या उन 60 साल के सभी किसानों को 10000 रुपये प्रति माह पेंशन की व्यवस्था नहीं करनी चाहिए सरकार को।
भारतीय हलधर किसान यूनियन “समृद्ध किसान योजना” के तहत पेंशन तथा “समृद्ध धरती पुत्र शिक्षा योजना” के तहत किसानों के बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए 90 फीसदी सब्सिडी पर एजुकेशनल लोन देने और जिन किसानों के बच्चों विगत दो दशक पहले भी उच्च शिक्षा हेतु लोन लिया है उनका भी 70 फीसदी लोन माफ़ कर सब्सिडी देने की मांग करती है। डॉ. गिरी ने कहा कि सरकार द्वारा संचालित फसल बीमा योजना में बड़े पैमाने पर करोड़ों – अरबों के कागजी बंदरबांट और वारे न्यारे होने का अंदेशा है। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं कि झारखंड के साहिबगंज जिले व अन्य कई जिलों से मिली जानकारी के आधार पर किसानों के लिए संचालित “फसल बीमा योजना” में बड़ी अनियमितता का अंदेशा है। मेरा दावा है कि वर्ष 2018 से 2023 के बीच इस योजना में करोड़ों के वारे न्यारे हुए हैं, जिसका पर्दाफाश विधिसम्मत तरीके से किया जाएगा और किसानों को उनका हक़ दिलाया जाएगा। इसके लिए भारतीय हलधर किसान यूनियन झारखंड ने रांची हाईकोर्ट में अपना लीगल एडवाइजर- झारखंड प्रदेश अधिवक्ता ओमप्रकाश प्रसाद का मनोनयन भी कर दिया है। मैं झारखंड के साहिबगंज जिले में फसल बीमा योजना में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराता हूं। साहिबगंज मामले की जांच उच्च स्तरीय निष्पक्ष एजेंसियों से कराने की मांग करता हूं। पूरे झारखंड व देश में भी फसल बीमा योजना में बड़े पैमाने पर ऐसा होने का अंदेशा है। मैं किसानों से मिली शिकायतों के बाद इस बावत एक जनहित याचिका दायर करने की ओर अग्रसर है।