विश्व आदिवासी दिवस कोलेबिरा प्रखंड के टूटिकेल तथा जलडेगा प्रखंड के खरवागढ़ा में बहुत ही धूमधाम से मनाया गया

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Eksandesh Desk

कोलेबिरा: टूटिकेल में मुंडा सभा रांची के द्वारा प्रायोजित और आदिवासी संघटनों द्वारा खरवागढ़ा में कार्यक्रम विश्व आदिवासी दिवस धूमधाम से मनाया गया।कार्यक्रम की शुरुआत में मुख्य अतिथि कोलेबिरा बिधायक नमन बिकशल कोनगाड़ी एवं अतिथियों का स्वागत बड़े ही धुमधाम से ढ़ोल नगाड़ो की थाप पर आदिवासी नृत्य संगीत के साथ किया गया।टूटिकेल में बिभिन्न प्रकार के आदिवासी संस्कृति का प्रदर्शन वहां के प्रतिभागी टीमों के द्वारा किया गया।टूटिकेल में नाच गान प्रतियोगिता के साथ खेल कूद का आयोजन भी किया गया।जहां बिधायक कोनगाड़ी के द्वारा टोपी, जर्सी सेट एवम अन्य सांत्वना पुरस्कार दिया गया।
वहीं जलडेगा प्रखंड के खरवागढ़ा में आदिवासी संघटनों के द्वारा प्रायोजित आदिवासी दिवस को पूरे उत्साह के साथ मनाया गया।जोरदार बारिश भी वहाँ उपस्थित लोगों के उत्साह को कम नहीं कर पाया।लोग भारी बारिश में भी नाच गान कर खुशियां मनाते रहें।खरवागढ़ा में कोलेबिरा विधायक नमन बिकशल कोनगाड़ी के द्वारा आदिवासी भाषा, संस्कृति, परंपरा के संरक्षण हेतु नाच गान कर रहे प्रतिभागियों की सभी टीमों को साड़ी दिया गया।वहीं उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले टीमों को मांदर देकर उनका उत्साह बढ़ाया।दोनों जगहों पर आदिवासी दिवस को उत्सव की तरह मनाने के लिए खान पान की व्यस्था भी कोलेबिरा विधायक के द्वारा की गई।

कोलेबिरा विधायक नमन बिकशल कोनगाड़ी ने आदिवासी दिवस की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए उपस्थित जनसमूह को बताया कि इस विश्व तथा भारत देश के वैसे निवासी जो कि उस छेत्र के मूलनिवासी हैं और आधुनिक समाज के विकास से पहले से ही उस छेत्र में रहते आए हैं।उन्हें आदिवासी समाज का दर्जा प्राप्त है।पूरे विश्व में आदिवासी समाज अपनी भाषा,संस्कृति,रीति-रिवाज और धार्मिक बिस्वास के लिए जाने जाते हैं।आदिवासी समाज इस पूरे विश्व में लगभग हरेक देश में पाए जाते हैं।दुनिया की कुल जनसंख्या का लगभग 5% हिस्सा तथा भारत के कुल जनसंख्या का लगभग 8% हिस्सा आदिवासियों का है।
आगे बिधायक ने आदिवासी दिवस के इतिहास बताते हुए कहा कि बैश्विक स्तर पर सर्वप्रथम संयुक्त राष्ट्र संघ ने 9 अगस्त 1982 को एक बैठक बुलाई जिसका उद्देश्य आदिवासी लोगों के अधिकार और उनके बेहतरी के लिए उठाने वाले कदम पर बिशेष चर्चा हुई।उनके समस्याओं और संघर्षों पर चर्चा की गई।इन समस्याओं के निराकरण के लिए 1982 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा एक बिशेष समूह का गठन किया गया, जिसे यु एन वर्किंग ग्रुप ऑन इंडिजिनस पपुलेशन्स कहा जाता है।इसका मुख्य कार्य पुरे विश्व के आदिवासी समाजों को उनके हक, अधिकार दिलाना,उनके समस्याओं और संघर्षों से उनको निजात दिलवाना है।इस बार 2024 के आदिवासी दिवस का थीम स्वैछिक अलगाव और प्रारंभिक संपर्क में आदिवासी लोगों के अधिकारों की रक्षा है।
आगे बिधायक ने बताया कि आज दुनिया में आदिवासी समाज का दुनिया की 22 प्रतिशत भूमि पर निवास है।आदिवासी समाज का रहन सहन, उनकी भाषा, संस्कृति,परंपरा तथा उनका जीवन मुख्यतः जंगलों एवम पेड़ पौधों पर निर्भर है और इसी कारणवश जंगलों का संरक्षण इनके द्वारा किया जाता है।जिससे कि आज के इस बदलते परिवेश में भी पर्यावरण संतुलित है।आज आदिवासी लोगों को अपना अस्तित्व, संस्कृति और सम्मान बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।इसका मुख्य कारण इनका निवास जंगलों में होना और आज जंगल तेजी से घट रहे हैं।जिसकी वजह से आज आदिवासी समाज भी तेजी से घटते जा रहे हैं।

विधायक ने लोगों को जागरूक करते हुए कहा कि आज देश में हम आदिवासी समाज को खत्म करने के लिए कई प्रकार के षड्यंत्र रचे जा रहे हैं।हमारे निवास स्थल के छेत्रों में बड़े बड़े पूंजीपतियों की कुदृष्टि लगी हुई है क्योंकि हमारे छेत्र अकूत संपदा तथा बेसकीमती खनिजों से भरे पड़े हैं।उसको हथियाने के लिए तरह तरह के षड्यंत्र रचे जा रहे हैं।हम आदिवासियों को हमारी जमीनों से उजाड़ने के लिए कुछ लालची किस्म के लोग लगे हुए हैं।जिसमे उनका साथ अभी की केंद्र सरकार दे रही है।हमारे बिकास के नाम से किये जा रहे कार्यों के नाम पर हमें बेघर करने की तैयारी की गई है।हमें कमजोर करने के लिए हमारी एकता को खंडित करने का प्रयास किया जा रहा है।कभी भाषा के आधार पर,कभी अलग संस्कृति तो कभी अलग धार्मिक मान्यता के आधार पर हमारे बीच बैमनस्यता फैलाने का कार्य किया जा रहा है।हमारे दिलों में हमारे ही आदिवासी भाइयों के लिए नफरत का बीज बोने का काम किया जा रहा है।उसमें भाजपा द्वारा धर्म के आधार पर डिलिस्टिंग का कार्ड खेलने का काम किया जा रहा है,जिससे कि हम आदिवासी समाज आपस में लड़कर खत्म हो जाएं।और हमारे कब्जों की जमीनों,जंगलों को भाजपा अपने पूंजीपति मित्रों को दे सके।लेकिन हमें बहुत अधिक सावधान रहना है।वैसी सभी ताकतों को हमारी एकता से उखाड़कर फेंक देना होगा तभी हम आदिवासियों का अस्तित्व,भाषा,संस्कृति,परंपरा,हमारी आजीविका का मुख्य स्रोत जंगल बचेगा।आगे कोलेबिरा बिधायक ने बताया कि मैं लगातार आदिवासी समाज के लिए सड़क से लेकर सदन तक मे लड़ाई लड़ रहा हूँ।कुछ मामलों में सफल भी रहा हूँ,जैसे आदिवासी भाषा,संस्कृति,परंपरा को बचाने के उद्देश्य की पुर्ती के लिए अपने साथी विधायकों राजेश कच्छप,दीपक बिरुआ (जो कि वर्तमान में आदिवासी कल्याण मंत्री) हैं के संयुक्त प्रयास से झारखंड राज्य के सभी स्कूलों में भाषा की पढ़ाई शुरू करवाने के लिए सदन में आवाज उठाई, जिसका फलस्वरूप आज समस्त झारखंड राज्य में सभी स्कूलों में भाषा की पढ़ाई करने के लिए शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो गई है।और जंगलों को बचाने के लिए वनपट्टा बितरण करवाने का काम कर रहे हैं।जिससे कि आदिवासी समाज को जंगलों के उपयोग,प्रबंधन और संचालन का अधिकार दिया जा रहा है।जमीन का रक्षा कवच सी एन टी-एस पी टी में लगातार संशोधन कर कमजोर करने की साजिश भाजपा द्वारा रची जा रही है।इसके लिए भी बिधायक कोनगाड़ी लगातार लड़ाई लड़ रहे हैं।भाषा,संस्कृति और परंपरा को बचाने के लिए बिधायक के द्वारा समय समय पर संस्कृति नाच गान प्रतियोगिता करा कर आदिवासी समाज के लोगों का उत्साहवर्धन करने के लिए साड़ी, नगाड़ा, मांदर का बितरण किया जाता रहा है।इसीलिए बिधायक कोनगाड़ी ने लोगों से अपनी एकता और अखंडता को बरकरार रखने का आह्वान किया ताकि कोई भी ताकत हमें खत्म नही कर सके।

मौके पर बिधायक के साथ जिला बिधायक प्रतिनिधि रावेल लकड़ा,मुंडा सभा महामंत्री लूथर टोपनो,दिशुम पाहन जेम्स धनवार, सभी पाहड़ा राजा, पाहन, पुजार,केंद्रीय मुंडा सभा के महासचिव बिलकन डांग, प्रभु सहाय सांगा, रोयान डांग,तुरन लुगुन,प्रेमचंद होरो, सामुएल डांग,शाखा मुंडा सभा सिमडेगा के अध्यक्ष किशोर डांग,तारसीयूस लुगुन, प्यारा मुंडू, जिला कांग्रेस अल्पसंख्यक सचिव जमीर हसन,प्रखंड अध्यक्ष सुलभ डुंगडुंग, सुशील जड़िया,पूर्व प्रखंड अध्यक्ष सुनील खड़िया,बिधायक प्रतिनिधि अर्जुन होरो, अवध साहू, मंडल अध्यक्ष राकेश कोनगाड़ी,अमृत डुंगडुंग, अनिल डांग सहित कई लोग उपस्थित रहे।