Eksandeshlive Desk
रांची : सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की ओर से की ओर से आयोजित होने वाले विश्व आदिवासी दिवस के सांस्कृतिक आयोजन को लेकर राज्य के कई लोक कलाकारों, भाषाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आयोजन की दिशा और प्राथमिकताओं पर गहरी आपत्ति व्यक्त की है। यह आयोजन दिनांक सात से नौ अगस्त को धुर्वा के प्रभात तारा मैदान में प्रस्तावित है। इसमें देश-विदेश से लगभग दो हजार कलाकारों की सहभागिता सुनिश्चित की जा रही है। जहां एक ओर सरकार इसे एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का सांस्कृतिक महोत्सव बनाने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर झारखंड के मूल कलाकारों, भाषाओं और सांस्कृतिक अस्मिता को किनारे करने के आरोप भी सामने आ रहे हैं।
इस पूरे संदर्भ में लोकगायक आशुतोष द्विवेदी ने शनिवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इस आयोजन की मूल संरचना पर आपत्ति जताते हुए सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के निदेशक को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि इस आयोजन में झारखंड की प्रमुख भाष नगपुरी, मैथिली, खोरठा, अंगिका, भोजपुरी, पंचपरगनिया, कुरमाली और बंगाली और पारंपरिक कलाकारों को मंच देने की कोई ठोस योजना नहीं दिख रही है। इसके विपरीत, आयोजकों की ओर से हिंदी फिल्म उद्योग के प्रसिद्ध गायकों जुबिन नौटियाल और सुनिधि चौहान को बुलाया जा रहा है। इनकी उपस्थिति का न तो झारखंड की लोक संस्कृति से कोई प्रत्यक्ष संबंध है और न ही ये कलाकार राज्य के भाषायी और सांस्कृतिक विमर्श को सशक्त बनाने में उपयोगी हो सकते हैं।