पुरी के जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश से पूर्व राष्ट्रपति से लेकर महात्मा गांधी तक को आखिर क्यों रोका गया?

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पुरी का जगन्नाथ मंदिर पूरे देश के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. यह मंदिर हिंदुओं की चार धाम की यात्रा में से एक माना जाता है. यहां हर साल देश भर से लाखों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ जी की दर्शन के लिए आते हैं. इस मंदिर से हर साल पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को रथ यात्रा निकाली जाती है. मंदिर से निकलने वाली रथ यात्रा विश्व प्रसिद्ध है.

पुरी के जगन्नाथ मंदिर की मुख्य द्वार जिसे सिंह द्वार भी कहते हैं. वहां एक नोटिस लिखा हुआ है– ‘केवल हिंदुओं को मंदिर के अंदर गर्भगृह में देवताओं की पूजा करने की अनुमति है’. बता दें, इस नोटिस बोर्ड पर लिखे गए शब्दों का साफ अर्थ यह निकलता है कि मंदिर में प्रवेश केवल हिंदुओं का है.

वहीं अगर बात करें, आखिर कौन इस नोटिस को जारी करते हैं और अगर इनमें कोई बदलाव करना हो या किसी नए नियम को लागू करना हो तो इसका अधिकार किन्हें दिया गया है तो जानकारी के लिए बता दें, मंदिर में लिखे गए नियम या नोटिस में किसी भी तरह के बदलाव को जोड़ना-हटाना हो तो इसका अधिकार केवल शंकराचार्य जी के पास होता हैं.

लिखे गए नोटिस के आधार पर तब से लेकर आज तक गैर हिंदुओं को मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया जाता है.

बात करें, नोटिस में उल्लेखनीय बात कि तो

-साल 1934 में जब महात्मा गांधी ने सामाजिक कार्यकर्ताओं, मुस्लिमों, हरिजन और दलितों को मंदिर ले गए तब उन्हें मंदिर में जाने से रोका गया.

-डॉ भीमराव अंबेदकर को जुलाई 1945 में भगवान जगन्नाथ जी के दर्शन के लिए पुरी के जगन्नाथ मंदिर गए थे. वहां उन्हें निचली जात का बताकर मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश नहीं करने दिया गया था.

-1984 में इंदिरा गांधी को पुरी के जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया गया था, क्योंकि उनकी शादी एक पारसी से हुई थी. मंदिर के पुजारियों द्वारा उन्हें ये कहकर रोका गया था कि भारत के प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी गैर हिंदू है तो इस मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती है. नियम सबके लिए हैं.

-राजकुमारी महा चक्री 2004 में भारत आई थी उन्हें इंदिरा गांधी पुरस्कार से सम्‍मानित किया गया था. इस दौरान वह पुरी के जगन्नाथ मंदिर के दौरे पर थी लेकिन उन्हें भी मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया था. बता दें, उन्होंने मंदिर को बाहर से ही देखा. इस मंदिर में विदेशियों के प्रवेश की अनुमति नहीं है.

– 2006 में स्विस महिला एलिजाबेथ जिगलर को प्रवेश नहीं मिला क्योंकि वह इसाई धर्म की महिला थी जबकि उनकी ओर से मंदिर को 1.78 करोड़ रुपये का दान भी दिया गया था.

– मार्च 2018 में भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपनी पत्नी के साथ पुरी के जगन्नाथ मंदिर गए थे. ‘टाइम्स ऑफ इंडिया के रिपोर्ट’ के अनुसार मंदिर में सेवादारों के एक समूह ने कथित रूप से गर्भगृह के करीब राष्ट्रपति का रास्ता रोका और उनकी पत्नी को धक्का दिया और बदसलूकी की. इनके अलावा भी देश और विदेशों के कई बड़े हस्थियों को भी मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया है.

सदियों से यह प्रथा रही है कि कुछ इतिहासकारों का मानना है, मुस्लिम शासकों द्वारा मंदिर पर किए गए कई हमलों ने वहां के प्रशासन पर गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रेरित किया हो. वहीं कुछ लोगों का यह भी मानना है कि मंदिर निर्माण के समय से ही यह प्रथा चली आ रही है. कुछ जगहों पर इस बात का भी जिक्र है कि मुगल काल में मंदिरों में लूटपाट के बाद ही इस प्रकार के प्रतिबंध हैं. मंदिर में इस संबंध में नोटिस भी लगा हुआ है. हालांकि, इसका जिम्मा राज्य का धर्मस्व व न्यास विभाग संभालता है साथ ही ट्रस्ट भी इसे देखता है.